पूज्य गुरु घांसिदास बाबा जी के मनखे मनखे एक समान इस वचन को सार्थक मानकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किया पथ संचलन
सारंगढ़ बिलाईगढ़/बिलाईगढ़ खंड, जिला सारंगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शताब्दी वर्ष के प्रारंभ में पवनी मंडल से रविवार, 20 अक्टूबर को पथ संचलन का आयोजन किया। पथ संचलन का शुभारंभ नगर पंचायत पवनी के शिशु मंदिर से हुआ, जो बजरंग चौक, सड़क पारा, ताल पारा, और बस स्टैंड होते हुए स्कूल मैदान में संपन्न हुआ। इस दौरान, ग्रामवासियों ने स्वयंसेवकों का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया, जो राष्ट्रीय एकता और समाज सेवा के प्रति जनसमर्थन का प्रतीक था।
संचलन के पश्चात एक बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पूज्य गुरु घासीदास बाबा जी के उपदेश “एके विधाता के गढ़े चारों वरन हे ओकरेच हाथ म जीवन आऊ मरन हे, काबर करत हस गुमान, मनखे मनखे एक समान” के सार को सामने रखा गया। इस संदेश के माध्यम से जाति, अस्पृश्यता और भेदभाव को त्यागकर समानता और मानवता की भावना को बढ़ावा दिया गया।
बौद्धिक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता भयभंजन बेहरा जी ने संघ की विचारधारा पर प्रकाश डाला और समाज में समरसता के महत्व को समझाया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ब्रह्मकुमारी मंजू दीदी ने भी समाज में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिकता के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने गुरु घासीदास बाबा जी के उपदेशों को समाज में अमल करने का आह्वान किया।
इस आयोजन में पवनी मंडल के 200 से अधिक स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया और समाज सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इस पथ संचलन ने न केवल संघ के शताब्दी वर्ष का प्रारंभ किया बल्कि गुरु घासीदास बाबा जी के ‘मनखे मनखे एक समान’ के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास भी किया।
बिलाईगढ़ खंड, जिला सारंगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शताब्दी वर्ष के प्रारंभ में पवनी मंडल से रविवार, 20 अक्टूबर को पथ संचलन का आयोजन किया। पथ संचलन का शुभारंभ नगर पंचायत पवनी के शिशु मंदिर से हुआ, जो बजरंग चौक, सड़क पारा, ताल पारा, और बस स्टैंड होते हुए स्कूल मैदान में संपन्न हुआ। इस दौरान, ग्रामवासियों ने स्वयंसेवकों का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया, जो राष्ट्रीय एकता और समाज सेवा के प्रति जनसमर्थन का प्रतीक था।
संचलन के पश्चात एक बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पूज्य गुरु घासीदास बाबा जी के उपदेश “एके विधाता के गढ़े चारों वरन हे ओकरेच हाथ म जीवन आऊ मरन हे, काबर करत हस गुमान, मनखे मनखे एक समान” के सार को सामने रखा गया। इस संदेश के माध्यम से जाति, अस्पृश्यता और भेदभाव को त्यागकर समानता और मानवता की भावना को बढ़ावा दिया गया।
बौद्धिक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता भयभंजन बेहरा जी ने संघ की विचारधारा पर प्रकाश डाला और समाज में समरसता के महत्व को समझाया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ब्रह्मकुमारी मंजू दीदी ने भी समाज में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिकता के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने गुरु घासीदास बाबा जी के उपदेशों को समाज में अमल करने का आह्वान किया।
इस आयोजन में पवनी मंडल के 200 से अधिक स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया और समाज सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इस पथ संचलन ने न केवल संघ के शताब्दी वर्ष का प्रारंभ किया बल्कि गुरु घासीदास बाबा जी के ‘मनखे मनखे एक समान’ के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास भी किया।