सुरेश सिंह बैस/बिलासपुर। पंडित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में आठ पदों में गड़बड़ी की शिकायत के बाद राज्यशासन और राजभवन ने आदेश जारी कर रोक लगा दिया है। इसके पहले पीएमओ कार्यालय से भी जांच के आदेश दिए गए थे, जिसमें दैनिक वेतन कर्मचारी ने जांच के लिफाफे पर साइन किया था। बता दें कि पंडित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में स्व वित्तीय योजना अंतर्गत कुल आठ पदों का सृजन हुआ है। इन सभी पदों पर भर्ती करना था।
पीएमओ कार्यलय, राज्यशासन और राज्यपाल से की गई शिकायत
सभी पदों के लिए विश्वविद्यालय ने विज्ञापन जारी किया था। प्रबंधन की तरफ से जारी विज्ञापन में कई तरह की खामियां थीं। वहीं भर्ती प्रक्रिया के मापदंडों को भी दरकिनार करते हुए प्रक्रिया अपनाई गई है। यह बात भी कही जा रही थी कि विश्वविद्यालय अपने चहेतों को नियुक्त करना चाहता है। इसकी शिकायत प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग तक की गई है।
बैठक में लिफापा खोले जाने का विरोध
शिकायत पत्र में डिगेश्वर साहू, जितेन्द्र कुमार साहू,पीआर जायसवाल ने बताया कि कुलपति वंश गोपाल सिंह ने मनमानी कर नई सरकार बनने से पहले ही विवादित रूप से इंटरव्यू कराया है। बन्द लिफाफा को खोलने का प्रयास भी किया। जबकि शासन के उच्च शिक्षा विभाग सचिव प्रतिनिधि ने कार्य परिषद की बैठक में लिफाफा खोलने का विरोध किया। प्रतिनिधि ने कहा कि राज्यपाल से विश्वविद्यालय में हो रही पदों में नियुक्तियां के संबंध में उच्च शिक्षा विभाग को जांच का निवेदन किया जाए। जब तक जांच की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती है..तब तक नियुक्ति का लिफाफा नहीं खोला जाए। बावजूद इसके मामले को कार्य परिषद की कार्यवाही विवरण में शामिल नहीं किया गया। विशेष कर्तव्य अधिकारी राजलक्ष्मी सेलट ने विश्वविद्यालय के कुलपति और अध्यक्ष कार्य परिषद को पत्र लिखा। बताया कि सभी आठ पदों में अनियमितता और भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। जांच को ध्यान में रखते हुए नियुक्ति का लिफाफा नहीं खोला जाए।
शासन ने जांच के दिए आदेश
वहीं जितेंद्र साहू की शिकायत पर राजभवन और राज्यशासन से प्रक्रिया पर रोक छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग अवर सचिव ने विश्वविद्यालय के कुल सचिव को पत्र लिखा है। राज्य शासन ने जांच का आदेश दिया है। हालांकि जांच प्रक्रियाधीन है। इसलिए विश्वविद्यालय के सभी आठ पदों की नियुक्ति प्रक्रिया को स्थगित किया जाता है। राजभवन सचिवालय ने भी विश्वविद्यालय को पत्र भेजा और नियुक्ति प्रक्रिया को तत्काल स्थगित किया जाता है। खासबात यह है कि पत्र में यह भी कहा गया है कि आदेश पर की गई कार्रवाई की जानकारी राजभवन को अवगत भी कराएं।