भिक्षावृति संगठित उद्योग की तरह पनप रहा
समनापुर डिंडोरी भुवनेश्वर पड़वार (पप्पू)
भिक्षावृति संगठित उद्योग की तरह पनप रहा
समनापुर- जनपद मुख्यालय समनापुर में भिक्षावृति पर रोक लगे इसे लेकर कभी कोई सख्ती नहीं की गई। भिक्षावृति रोकने का अभियान मुख्यालय के अंदर प्रशासन की अनदेखी के कारंण कारगार नहीं हो पा रहा हैं जब तक जिम्मेदार विभाग सख्त नहीं होगा मुश्किल है कि जनपद मुख्यालय के अंदर बच्चों से भीख मंगाने वालों के हौसलें पस्त होंगे। ये ढील ही अब लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है।
आप समनापुर के किसी भी क्षेत्र में कुछ देर के लिए खड़े हो जाइए भिक्षावृति करने वाले बच्चे व बड़े आपको घेर लेंगे। वे पहले आपसे मनुहार करेंगे, नाराज होने पर आपको दो बाते भी सुना जाएंगे। भिक्षावृति करने वालों के कारण सडक़ के रहागीर, होटल संचालक, मंदिर जाने वाले लोग काफी परेशान हैं। भिक्षावृति मुख्यालय के अंदर पेशागत रूप ले चुकी है। भिक्षावृति से जुड़े लोगों का एक तरह से कब्जा ही हो चुका है। समनापुर जनपद अंतर्गत ददरी टोला के अधिकतर रहवासी प्रधानमन्त्री आवास एवं अन्य योजनाओं लाभ लेते हुए भिक्षावृत्ती को रोजगार बना बैठे हैं बच्चे से लेकर बूढ़ों तक का यही काम है।
भिक्षा मांगने पर कानूनन रोक है, इसे गैर कानूनी घोषित किया है। खासकर जिन हाथों में किताब होनी चाहिए, उन हाथों में भीख का कटोरा देने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। लेकिन इन सब पर नजर डाले तो सिर्फ यह कोरी घोषणाएं है। सरकार सात साल से लेकर 14 वर्ष तक के वंचित बच्चों के लिए भी शिक्षा का अधिकार कानून बनाकर लाई है लेकिन मुख्यालय के अंदर बड़ी संख्या में बच्चे भी भीख मांग रहे हैं।सरकार झुग्गी-झोपड़ी युक्त क्षेत्रों में स्कूल चला रही है। जिसका महत्वपूर्ण उद्देश्य बच्चों को शिक्षा देना और उन्हें बाल मजदूरी एवं भिक्षावृति से रोकना है। शिक्षा के साथ बच्चों को भोजन, किताब, कॉपी सहित अन्य सुविधा का लाभ भी दिया जाता है। लेकिन तमाम सरकारी व्यवस्थाओं के बावजूद न तो बाल मजदूरी रुक रही है और न ही भिक्षावृत्ति पर लगाम लग रही है।
भीख मांगना दंडनीय अपराध
मप्र भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1973 के तहत भीख मांगना दंडनीय अपराध है। इतना ही नहीं इस कानून के तहत भिखारियों के पुनर्वास और ट्रेनिंग देकर सामान्य जीवन में लौटने के उपाय करने का भी प्रावधान है। लेकिन अफसोस है कि इस कानून के प्रावधान लागू ही नहीं किए गए। इस कारण भिखारियों पर पुलिस कोई सख्त कार्रवाई नहीं करती है। जिले में भिक्षावृत्ति करने वाले आकड़ों की संख्या जिले में किसी भी विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।
तमाम योजनाओं के बाद भी भिखारियों के मामले में मध्यप्रदेश देश में 5वें स्थान पर
राज्य में भिक्षावृत्ति समाप्त हो, इस धंधे में लगे लोगों का पुनर्वास कर उन्हेंं समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए कई कार्यक्रम चले लेकिन स्थिति में अधिक सुधार नजर नहीं आता। यह स्थिति तब है जब मध्यप्रदेश में भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम लागू है। इसके तहत भीख मांगना दण्डनीय अपराध है। भिखारियों के मामले में मध्यप्रदेश की स्थिति चिंताजनक है। इसमें मध्यप्रदेश पांचवे स्थान पर है। यह स्थिति तब है जब मध्यप्रदेश में गरीबों के लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें मुफ्त भोजन के साथ अन्य सुविधाएं भी फ्री हैं।