छत्तीसगढ़

तीन दशक बाद इस गांव में मनाया जाएगा लोकतंत्र का महापर्व, पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान कराने की थी तैयारी, लाल आतंक के कहर के बाद भी पड़े थे वोट

दंतेवाड़ा. लोकतंत्र के महापर्व यानी चुनाव की तैयारी प्रशासन बड़ी मजबूती से करने में जुटा है. साल के अंत में नवंबर- दिसबंर में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिसकी समुचित व्यवस्था में पुलिस प्रशासन का अहम रोल रहेगा. इस बार सामन्य बूथों की संख्या में इजाफा करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. इन बूथों में अहम बूथ अंदरूनी इलाकों के हैं. जहां इससे पहले मतदान प्रकिया पूरी कराने में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता था. तकरीबन तीस साल बाद एक ऐसे ही बूथ पर प्रशासन की नजर है.

ये बूथ बेहद चर्चित है. इस अति संवेदनशील बूथ में तीन दशक तक मतदाता मताधिकार का प्रयोग ही नहीं कर पाए हैं. यहां जनताना सरकार का बोलबाला रहा है. लालगलियारे के इसी मिथक को तोड़ने का प्रयास एक बार फिर पुलिस प्रशासन कर रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में नीलावाया में तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार और एसपी अभिषेक पल्लव ने चुनाव कराने का प्रयास किया. तीस साल बाद लोकतंत्र की बहाली का कवरेज करने जा रही दूरदर्शन की टीम पर माओवादियों ने तबाड़तोड़ गोलियां बारसाई थी. इस माओवादी हमले में दो पुलिस कर्मी सहित दूरदर्शन का कैमरामैन शहीद हो गया था. इसमें एक एसआई रैंक का अधिकारी भी शामिल था. इन शहादतों के बाद भी यहां वोट पड़े थे. भले ही मतदानों की संख्या 6 थी. प्रशासन इसी नीलावाया में भरपूर मतदान कराने के प्रयास में है. पुलिस कप्तान का कहना है कि अतिसंवेदनशील क्षेत्रों पर पुलिस की पैनी नजर रहेगी. सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रहेगी. शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराना ही लक्ष्य है.

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