ओडिसा के बिचौलियों के खिलाफ लामबंद हुए सीमावर्ती जिले के किसान, समिति में धान नहीं बेचने का लिया बड़ा फैसला…
गरियाबंद : कम बारिश से देवभोग अमलीपदर तहसील में 80 फीसदी फसल चौपट हो गई है. ऐसे में ओडिसा से धान बेचने वाले बिचौलिए समर्थन मूल्य में धान न खपा सके इसके लिए अभी से किसान लामबंद हो गए हैं. सहकारी समिति से जुड़े किसानों ने एक तरफ समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेचने का निर्णय लिया है, वहीं दूसरी ओर शासन-प्रशासन से मुआवजे की मांग की है. मांग पूरी नहीं होने पर चुनाव बहिष्कार का एलान किया है.
80 फीसदी फसल उत्पादन प्रभावित
झिरिपानी सहकारी समिति के अधीन आने वाले 10 गांव के लगभग 300 किसान धींगिया चिपटी मैदान में एक बैठक का आयोजन किया. तीन घंटे तक चले मंथन के बाद किसानों ने इस साल समर्थन मूल्य में धान नहीं बेचने का निर्णय लिया. नेतृत्व कर रहे किसान तुलाराम मांझी, चतुर्भुज नागेश, थबीरो मांझी, चमक लाल, जय कृष्ण नागेश ने कहा कि 2014-15 की तरह इस बार फसलों को दुर्दशा हो गई है. समय पर पानी नहीं गिरने के कारण रोपा बियासी तक नहीं हो सका. 80 फीसदी उत्पादन प्रभावित हुआ है. धान बेचने पर भी कर्ज पटाने लायक तो दूर लागत तक नहीं निकल पाएगी.
नुकसान का आंकलन कर दिलाएं मुआवजा
इस लिहाज से झिरिपानी, सुपेबेडा, केंदुबंद, डूमरबहाल, ठीरलीगुड़ा, खम्हारगुडा, खोकसरा, सेनमुडा, मोटरापारा, सागौनभाड़ी के किसान एक राय होकर इस बार समर्थन मूल्य में धान नहीं बेचने का निर्णय लिया है. किसानों ने अपनी मंशा से झिरिपानी समिति प्रबंधक भुवेन्द्र नायक को लिखित ज्ञापन सौप कर अवगत कराया है. किसानों ने कहा की हमारे इस नुकसान का आंकलन कर हमें मुआवजा, कर्ज माफी और बीमा की राशि शासन-प्रशासन दिलाए. इसी तरह शुक्रवार को निष्टि गुड़ा समिति के 8 गांव के किसानों ने भी धान नहीं बेचने का फैसला लिया है.
अनावरी रिपोर्ट से होगा वास्तविक आंकलन
मामले में तहसीलदार गेंद लाल साहू ने कहा कि अब तक इस मामले की कोई लिखित जानकारी नहीं आई है. शासन के निर्देश पर आरंभिक रिपोर्ट में 50 फीसदी से कम फसल का होना पाया गया है. रिपोर्ट भेज दिया गया है. नवंबर माह में अनावारी रिपोर्ट से ही वास्तविक नुकसान का आंकलन लगाया जा सकेगा. सूखे के लिए सम्पूर्ण तहसील व बीमा के लिए एक गांव को इकाई मान कर आंकलन किया जाता है.
नियमानुसार मिलेगा फसल क्षति
तय मापदंड में नुकसान पाया गया तो शासन के नियमानुसार फसल क्षति व बीमा मिलेगा. व्यक्तिगत आवेदन के आधार पर फसल का आंकलन कर नुकसान के रिपोर्ट के आधार पर नियमानुसार क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रावधान है. ज्ञापन आया तो उच्च अधिकारी को अवगत कराकर, प्राप्त निर्देशों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
बिचौलियों की मंशा पर किसानों ने फेरा पानी
इस बार शासन प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान समर्थन मूल्य में खरीदी करेगी. मौजूदा पैदावारी प्रति एकड़ 5 क्विंटल की भी नहीं है. ऐसे में शेष 15 क्विंटल के लिए ओडिसा से धान सप्लाई करने वाले बिचौलिए से संपर्क करेंगे. किसानों की चिंता है कि किसानों के रकबे को ठेका में लेकर धान की पूर्ति करने वाले बिचौलिए समर्थन मूल्य में शत प्रतिशत धान बेच लेंगे. लेकिन जो किसान ओडिसा की धान खरीदी में सक्षम नहीं होगा, वह दोनों तरफ से पीस जाएगा.
तो नहीं मिलेगा सूखा का मुआवजा
किसानों का तर्क है कि धान खरीदी का आंकड़ा दिखा तो उन्हें सूखे के स्थिति में मिलने वाले लाभ नहीं मिलेंगे. इसलिए किसानों ने पहले से ही धान नहीं बेचने का निर्णय लेकर बिचौलिए और उनके संपर्क में रहने वाले किसानों की मंशा पर फानी फेर दिया है. किसानों की इस पहल के बाद उन्हें योजना का कितना फायदा मिलता है, यह तो अनावरी रिपोर्ट के बाद ही तय हो पाएगा, लेकिन किसानों की इस पहल ने धान पैदावारी की स्थिति साफ कर दिया है.
चुनाव के बीच बड़े खेल की तैयारी
धान के कम पैदावारी के बीच ओडिसा का धान खपाने बिचौलिए ने भी अपनी पूरी तैयारी करना शुरू कर दिया है. छोटे रास्तों का चयन कर उसे दुरुस्त करना, ओडिसा के नजदीकी गांव में सक्रिय कोचियों को एडवांस देना हो या फिर सीमा पार भंडारण की सुविधा इनकी तैयारी अभी से शुरू हो गया है.
सूत्र बताते हैं कि पिछले साल ओडिसा के धान का घर पहुंच सेवा का रेट 1200 से खुल कर 2000 प्रति क्विंटल तक गया. इस बार 1500 से रेट खुलेगा और 2000 से ज्यादा कीमत तक जाएगा. बढ़े हुए रेट के बीच दोबारा लागत फंसा कर धान बेचना और केवल बोनस का फायदा उठाने के बजाए सूखे में मिलने वाले सारे स्कीम का फायदा उठाने की ठान रखी है.
ओडिसा से धान रोकने किया टीम का गठन
देवभोग एसडीएम अर्पिता पाठक ने बताया कि चुनाव में व्यस्तता के बावजूद ओडिसा से आने वाले धान को रोकने टीम का गठन कर दिया गया है. चिन्हाकित मार्ग पर बेरीगेट्स व ड्यूटी भी लगाई जा रही है. अनावारी के वास्तविक आंकलन के बाद प्रभावित किसानों को नियमानुसार योजना का लाभ दिया जा जाएगा.