छत्तीसगढ़

न कर्जमाफी हुई, न इलाका सूखाग्रस्त घोषित हुआ:गरियाबंद में 27 गांव के किसानों ने नहीं बेचा धान; 10 करोड़ के कर्ज ने बढ़ाई चिंता

गरियाबंद में 27 गांव के 3 हजार 622 किसानों ने अब तक अपने धान का एक दाना भी नहीं बेचा है। इनमें से 1933 किसानों पर 10.15 करोड़ का कर्ज है। सत्ता बदली तो कर्ज माफी नहीं हुई। सूखा क्षेत्र घोषित भी नहीं हुआ। किसानों का हाल ऐसा है कि फसल बीमा से भी अब भरपाई नहीं होगी। किसान असमंजस में हैं। कई किसान ओडिशा से आए धान को जुगाड़ से सरकारी रेट में बिकवा रहे हैं, ताकि नुकसान की भरपाई हो सके।

दरअसल, खरीदी शुरू होने से पहले ही किसानों ने प्रशासन को लिखित ज्ञापन देकर कम बारिश के चलते प्रभावित हुए उत्पादन का हवाला देकर धान नहीं बेचने का ऐलान किया था। ऐसा करने वाले 8 खरीदी केंद्र के लगभग 45 गांव शामिल थे। इसमें झाखरपारा,

गरियाबंद में 27 गांव के 3622 किसानों ने अब तक धान नहीं बेचा है।

27 गांव के किसान बनाएंगे अगली रणनीति

किसान शिबो राम नायक ने कहा कि अब तक हमारी एक भी मांग पूरी नहीं हुई है। जल्द ही 27 गांव के किसान बैठक लेकर ठोस रणनीति बनाएंगे। हमें पूरा भरोसा है कि हमारे साथ न्याय होगा।

सरकारी मापदंड पर खरा नहीं, इसलिए मांग अधूरी

किसानों को उम्मीद थी कि चुनावी सीजन में उनका कर्ज माफ हो जाएगा। रही लागत और मुनाफे की, तो उसके लिए क्षेत्र को सूखा प्रभावित घोषित करने की मांग थी। इसके बाद राजस्व विभाग ने रिपोर्ट बनाई, जिसमें तहसील की औसत वर्षा, सूखे के लिए तय मापदंड से ज्यादा मिली। बीमा योजना के लिए रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया जारी है। इसमें एक से डेढ़ महीने का वक्त लगेगा।

खोखसरा, झिरपानी और निस्टीगुडा खरीदी केंद्र में धान खरीदी का आंकड़ा अब तक शून्य है।

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