रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने अरुण देव गौतम को राज्य का प्रभारी पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया है। इस संबंध में राज्य सरकार ने आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है।
गौरतलब है कि अशोक जुनेजा का कार्यकाल सोमवार को समाप्त हो गया। वे राज्य के डीजीपी पद पर सेवा दे रहे थे और उन्हें पहले दो बार सेवा विस्तार मिल चुका था। डीजीपी पद की दौड़ में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हिमांशु गुप्ता और जीपी सिंह के नामों की भी चर्चा थी, लेकिन राज्य सरकार ने अरुण देव गौतम को प्रभारी डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी है।
हालांकि, पहले यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि अशोक जुनेजा के कार्यकाल को एक बार फिर बढ़ाया जा सकता है, लेकिन सरकार ने नए नेतृत्व की ओर कदम बढ़ाते हुए अरुण देव गौतम को राज्य सरकार ने उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रभारी डीजीपी नियुक्त किया है।
अरुण देव गौतम: मेहनत, संकल्प और कर्तव्यपरायणता की मिसाल
छत्तीसगढ़ के नए प्रभारी डीजीपी अरुण देव गौतम अपनी सादगी, कर्तव्यनिष्ठा और प्रशासनिक दक्षता के लिए जाने जाते हैं। एक किसान परिवार में जन्मे गौतम जी ने कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रवेश किया और अब राज्य पुलिस के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए हैं।
गांव से प्रशासनिक सेवा तक का सफर
अरुण देव गौतम का जन्म 2 जुलाई 1967 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के अभयपुर गांव में हुआ। वे पांच भाइयों और एक बहन के साथ एक साधारण कृषक परिवार में पले-बढ़े। प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से प्राप्त करने के बाद, उच्च शिक्षा के लिए वे प्रयागराज चले गए, जहां उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज, इलाहाबाद से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। आगे चलकर, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए किया।
जेएनयू से एमफिल और फिर आईपीएस
पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान, उनके कई साथियों ने यूपीएससी परीक्षा पास की, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने भी इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करने का संकल्प लिया। इसके लिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली में प्रवेश लिया और वहां से अंतरराष्ट्रीय कानून में एमफिल की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई शुरू की, लेकिन यूपीएससी परीक्षा पर पूरा ध्यान केंद्रित करने के लिए इसे स्थगित कर दिया।
पहले प्रयास में असफल रहने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और पूरी मेहनत से दोबारा परीक्षा दी। दूसरे प्रयास में वे भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयनित हुए।
प्रशासनिक सेवा में उत्कृष्ट योगदान
1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अरुण देव गौतम ने 12 अक्टूबर 1992 को अपनी सेवा शुरू की। उन्हें मध्यप्रदेश कैडर आवंटित किया गया, जहां उन्होंने जबलपुर में प्रशिक्षु आईपीएस के रूप में कार्यभार संभाला। इसके बाद वे बिलासपुर के सीएसपी, कवर्धा में एसडीओपी, भोपाल में एडिशनल एसपी और मध्य प्रदेश पुलिस की 23वीं बटालियन के कमांडेंट के रूप में कार्यरत रहे।
जिलों के एसपी के रूप में उत्कृष्ट नेतृत्व:
अरुण देव गौतम ने राजगढ़, छिंदवाड़ा, ग्वालियर, रीवा, इंदौर, जबलपुर और भिंड जैसे महत्वपूर्ण जिलों में पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उनकी नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक कौशल की व्यापक सराहना की गई।
अरुण देव गौतम अपने अनुशासन, कानून व्यवस्था को प्रभावी रूप से लागू करने की क्षमता और जनहितकारी दृष्टिकोण के लिए पहचाने जाते हैं। उनकी नियुक्ति से छत्तीसगढ़ पुलिस प्रशासन को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।