सुरेश सिंह वैस/बिलासपुर। रतनपुर के प्रसिद्ध महामाया मंदिर परिसर में एक वृद्ध महिला भक्तिन को ठगने का मामला सामने आया है, जहां एक संदिग्ध खाकी वर्दीधारी ने महिला से छुट्टे देने के बहाने दिनभर की कमाई के दो सौ रुपए ठग लिए। घटना के बाद से वह खाकी वर्दीधारी संदिग्ध व्यक्ति का कुछ अता-पता नहीं है और अब यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या वह वास्तव में पुलिसकर्मी था या किसी और वर्दी का सहारा लेकर अपनी ठगी को अंजाम देने आया था। मिली जानकारी के अनुसार भैंसों जेवरा की रहने वाली वृद्ध भक्तिन जो अपनी आजीविका के लिए महामाया मंदिर परिसर में ही आश्रय ली हुई हैं, मंगलवार शाम को अन्य भिक्षुओं के साथ वीआईपी निकासी गेट के पास बैठी हुई थीं। इसी बीच एक खाकी वर्दीधारी अधेड़ व्यक्ति वहां पहुंचा और उनसे पांच सौ रुपये के नोट के बदले दो सौ रुपये का चिल्लर देने की बात कही।भक्तिन ने अपनी दिनभर की कमाई के दो सौ रुपये का चिल्लर उसे सौंप दिए, ताकि वह उन्हें पांच सौ रुपये का नोट दे सके। लेकिन वर्दीधारी व्यक्ति दो सौ रुपये लेकर तुरंत वहां से चला गया और वापस लौटकर नहीं आया। काफी देर इंतजार करने के बाद वृद्ध महिला ने उसकी तलाश करना शुरु कर दिया, परंतु वह व्यक्ति कहीं नजर नहीं आया। इस घटना से हताश होकर भक्तिन मंदिर परिसर के ट्रस्ट कार्यालय पहुंची और घटना की जानकारी दी। ट्रस्ट कर्मियों ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की, जिसमें वर्दी पहने एक अधेड़ व्यक्ति दिखाई दिया। सीसीटीवी फुटेज में उसकी शारीरिक भाषा असामान्य दिख रही थी। वह असामान्य ढंग से चल रहा था, उसकी कमर पर वर्दी का बेल्ट ढीला था और वह हाथ जोड़ते हुए भी नजर आया, जिससे उसके पुलिसकर्मी होने पर संदेह उत्पन्न हुआ। अब यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि क्या वह वाकई पुलिसकर्मी था या किसी और ने खाकी वर्दी का इस्तेमाल कर इस ठगी को अंजाम दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए, रतनपुर थाना पुलिस को इस पर संज्ञान लेने की जरूरत है। हालांकि अभी तक इस घटना की शिकायत रतनपुर थाने में दर्ज नहीं की गई है, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि पुलिस प्रशासन को स्वतः संज्ञान लेकर इस घटना की जांच शुरु करनी चाहिए। यदि खाकी वर्दी का उपयोग ठगी के लिए किया गया है तो यह वर्दी की गरिमा पर एक दाग है और समाज में पुलिस की विश्वसनीयता को भी ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है।
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