
सुरेश सिंह बैस -बिलासपुर। ग्राम मोपका के खसरा नंबर 992 और 993 से संबंधित भूमि का मामला हाल ही में सुर्खियों में आया है। यह मामला सरकारी भूमि के अवैध कब्जे, अवैध पट्टों के निर्माण और अंतरण से जुड़ा है। इस भूमि को मूल रूप से निस्तार पत्रक में शासकीय भूमि के रूप में दर्ज किया गया था।मोपका स्थित खसरा नंबर 992 और 993 को निस्तार पत्रक में सरकारी भूमि के रूप में उल्लेखित किया गया था। शिकायतों के अनुसार, इस भूमि पर कुछ व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप से पट्टा बनवाकर, नाम दर्ज कराकर, और अंतरण कराए गए। इसके अलावा, भूमि पर अवैध कब्जे की घटनाएं भी सामने आई हैं।उक्त मामलों को लेकर कलेक्टर, के पास शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए, कलेक्टर ने अतिरिक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में एक विशेष जांच टीम गठित की है। इस टीम को मामले की तह तक जाकर सभी पक्षों की जांच करने का निर्देश दिया गया है।इस जांच के तहत, खसरा नंबर 992 और 993 से जुड़े सभी खातेदारों को सूचित किया गया है कि वे अपने स्वामित्व अंतरण और मौके के कब्जे संबंधित प्रमाणिक दस्तावेज प्रस्तुत करें। इसके लिए एक निश्चित तिथि और समय तय किया गया है, जहां सभी संबंधित व्यक्तियों को तहसीलदार कार्यालय,में उपस्थित होना आवश्यक है।खातेदारों को यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि नियत तिथि के बाद प्राप्त दस्तावेजों पर विचार नहीं किया जाएगा। यह कदम मामले की जांच प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए उठाया गया है।सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का यह मामला केवल ग्राम मोपका तक सीमित नहीं है। यह समस्या सभी जगह देखी जाती है, जहां सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया जाता है और दस्तावेजों में हेरफेर करके इसे वैध बनाने का प्रयास किया जाता है। ऐसी घटनाएं न केवल सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग करती हैं, बल्कि आम जनता के अधिकारों पर भी प्रभाव डालती हैं।गठित जांच समिति की कार्रवाई यह सुनिश्चित करेगी कि शिकायतों की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, यह आवश्यक है कि संबंधित अधिकारी सरकारी भूमि की नियमित निगरानी करें और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कानून लागू करें।






