छत्तीसगढ़राजनीति

महेंद्र कर्मा के गढ़ में कांग्रेस के 19 दावेदार:देवती-छविंद्र के अलावा 17 लोगों ने किया आवेदन, कोंटा से कवासी लखमा अकेले दावेदार

छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस में टिकट के लिए ब्लॉक स्तर पर दावेदारी करने मंगलवार को अंतिम दिन था। बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा के गढ़ दंतेवाड़ा में इस बार देवती कर्मा और उनके बेटे छविंद्र कर्मा के साथ कुल 19 नेताओं ने दावेदारी की है। वहीं कोंटा विधानसभा से कवासी लखमा इकलौते दावेदार हैं।

दंतेवाड़ा में दावेदारी करने वालों में सबसे ज्यादा गीदम ब्लॉक के कांग्रेसी नेता शामिल हैं। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाम में देवती और छविंद्र के अलावा केवल एक-दो नाम ही और थे। अब देखना होगा कि टिकट के लिए मुहर किसके नाम पर लगती है।

दंतेवाड़ा विधानसभा सीट को कर्मा परिवार का गढ़ माना जाता है। साल 2013 में यहां से महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा जीती थीं। फिर 2018 में उन्हें हार मिली। हार की सबसे बड़ी वजह मां-बेटे के बीच टिकट को लेकर हुए विवाद को मानी गई थी। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने की वजह से छविंद्र अपनी मां देवती कर्मा के खिलाफ ही चुनावी मैदान में उतर गए थे। बाद में वे पीछे हट गए थे।

अब इस साल होने वाले चुनाव में देवती और छविंद्र की ही दावेदारी करने की बात सामने आ रही थी। लेकिन, ब्लॉक स्तर पर दावेदारों के मिले आवेदन ने चौंका दिया। मां-बेटा के साथ कुल 19 नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की थी। ऐसा बताया जा रहा है कि, कुछ पुराने कार्यकर्ता भी नाराज हैं। यही वजह है कि, कर्मा के गढ़ में दावेदारों की संख्या इस इतनी अधिक है।

जानिए दावेदारों के नाम
देवती कर्मा, छविंद्र कर्मा, सुरेश कर्मा, राजकुमार तामों, मुकेश कर्मा, भानु कर्मा, जया भास्कर, अमूलकर नाग, रूपधर नाग, मनकुराम, विनोद सोरी,शं कर कुंजाम, भीमा मंडावी, नंदा कुंजाम पुष्पा नाग और जगरा बेंजाम ने आवेदन जमा कर अपनी अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। यह पहला मौका है कि कर्मा के गढ़ में इतने दावेदारों ने चुनाव लड़ने अपनी दावेदारी पेश की है।

कुछ ऐसा रहा समीकरण
महेंद्र कर्मा की मौत के बाद उनकी पत्नी देवती कर्मा को साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी चुना था। उन्होंने BJP के भीमा मंडावी को हराकर कुर्सी अपने नाम की थी। हालांकि, साल 2018 के चुनाव में भीमा और देवती फिर से आमने-सामने हुए। इस बार भीमा ने देवती को करीब 2 से ढाई हजार वोटों से हरा दिया था।

चुनाव के कुछ ही दिनों के बाद नक्सलियों ने भीमा मंडावी की हत्या कर दी थी। जिसके बाद उपचुनाव हुआ। जिसमें भीमा की पत्नी ओजस्वी मंडावी देवती कर्मा के सामने खड़ी हुईं थीं। हालांकि, इस बार देवती ने ओजस्वी को 10 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया था। फिर से MLA की कुर्सी अपने कब्जे में कर लीं।

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