सारंगढ़ बिलाईगढ़छत्तीसगढ़

21 अगस्त नाग पंचमी पर्व पर विशेष- सर्पों की पूजा

नागपंचमी का त्यौहार भारतवर्ष में  बड़ी धूमधाम पूर्वक मनाया जाता है। इस दिन गांवों और शहरों में कुश्ती दंगल के खेल अखाड़ो में आयोजित किये जाते हैं बिलासपुर शहर में गोड़पारा स्थित मन्नुलाल अखाड़ा समिति द्वारा प्रतिवर्ष लालबहादुर शास्त्री स्कूल के मैदान मे दगल प्रतिस्पर्धा के आयोजन किया जाता है। गांव गांव में इस अवसर पर लोगों द्वारा नागपूजा की जरूरी नहीं होता। शायद उक्त की वजह जहर और भय दोनों ही होते रहती हैं। रसेल्स वाइपर का रंग प्रायः सभी क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाती है एवं नागों को दूध लाई खेतों छत्तीसगढ़ी बोली में प्रस्तुत मंत्र को हैं. भय के कारण भी कई लोग मर मटमैला, भूरा, पेट गोलाई पर और जाता है परंतु अकलतरा बलौदा के एवं देवालयों में पिलाया एवं चढ़ाया पढ़कर सहज ही में कोई विश्वास नहीं जाते । हमारे देश में केवल दो सौ पूछ छोटी होती है शरीर के ऊपर आसपास के क्षेत्रों में इस पर्व में दलहाय करेगा तो उसक मंत्र शक्तिक्षीण हो एक बराबर हैं।

जाती है यह मान्यता भी सर्वमान्य हैं। संसार का सबसे जहरीला सांप है आस्ट्रेलिया का टाइगर नेक, किंग कोबरा भी भयकर जहरीला होता है। जितनी तेजी से सांप का जहर असर करता है, उससे भी अधिक तेजी से मनुष्य के मनोमरराति पर असर करता है साप काटने का भय। अवसर मृत्यु जाता है। नागपंचमी का दिन अनेकानेक कर पायेगा फिर भी इस अवल को से तीन सौ जहरीले सांप पाये जाते बडे बडे धब्बों की तीन कतारे होती पहाड़ में रोमाचक पर्वतारोहण किया य मंत्रों की सिद्धि के लिये बाबा गुनियाओं लाखों ग्रामीण जनता की यही मान्यता है इनमें कोबरा करैत सास्कल, बाइपर हैं दो दायें बाय और एक बीच में होती जाता है। इस दिन आसपास के क्षेत्रों के लिए बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैदिक और विश्वास का हस्तातर साल दर और रसेल्स वाईपर आदि चार जातिया है बीच वाली कतार में छोटे छोटे में हजारो लोग जिसमे बाल, अबाल धर्म में नागपंचमी मनाने की कई साल नागपंचमी के अवसर पर होता सर्वाधिक जहरीली होती है। इन चारों एक निशान होते हैं। इसके सिर के नर नारी सभी होते हैं, ये पहाड़ प्रचलित कथाएं हैं। फिर भी मंत्र आया है। यदि इस दिन कोई बैगा जातियों के सांपों का जहर मनुष्य को पीछे काली निशान होता है और की चोटी पर चढ़कर रोमांचक आनंद है ना हेतु इस दिवस का विशेष महत्व किसी कारण वश मंत्रों को शिष्यों में तो छोड़िये हाथी तक को मार डालने आंखों से मुंह तक काले रंग की रेखा का अनुभव करते हैं। जिले के होता है मैगा गुनिया लोग इस तिथि प्रसार नहीं कर पाता तो वह आने वाले में सक्षम होता है। पदम कालगण्डेस, सी खिची रहती है, वह भारत वर्मा, अधिकांश स्थानों पर से दिखाई देने को पहली तिथिवार से यानी चौथ से भादो महीने के ऋषि पंचमी को जनहित संखचूड, मदा, शेषनाग, कालीनाग, थाइलैंड, ताइवान, श्रीलंका और वाला, अनेकानेक विहगम एवं नवनाभिराम लगा हुआ मानकर पात अपने शिष्यों के लिये अनेकशिष्यों को मंत्री से पारंगत राजनाग, तामेश्वरी फुलपगार, ऐपराज, आस्ट्रेलिया में अधिक पाया जाता है। दृश्यों से संपन्न यह पहाड़ बिलासपुर को गुरुमंत्र देने की तैयारी में लगे करता है एक अन्य क्रिया नगमन की प्रहलाद डीसू, धामिन, रक्तवंशी, पैसे रसेल्स वाइपर दक्षिणी भारत में से सीपत बलौदा मार्ग पर लुधरा शरीफ रहते है मुख्यत इस दिन को मंत्र होती है इसकी प्रक्रिया वृद्धि रुपाकार अजगर, सुखमंत्री, जलेरिया और दुमई एकइस सौ फुट की ऊंचाई तक और से चार किलोमीटर पर या अकलतरा सिद्धि के लिये अत्युतम माना जाता में होती है इसमें नागपूजा के पहले आदि सांपों की लगभग पचास जाविया हिमालय पर अठारह सौ फुट की ऊंचाई बलौदा मार्ग पर परसाही से साथ कि है छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की दिन गांव के बाहर किसी मैदान को ऐसी हैं, जिनके सांप जहरीले कम तक भी पाया जाता है पर यह मैदानों मी. पर स्थित है। पहाड़ की तली तक संख्येरकी ज्यादा है। ज्यादातर गोड़ी साफ सुथरा बनाकर उसे दलदली बना लेकिन ज्यादा खतरनाक होते हैं और समुद्र तट पर रहना ज्यादा पसंद कच्ची सड़क गयी है यह पहाड़ दक्षिण संस्कृति के कारण यहा मंत्र तंत्र पर दिया जाता है, दूसरे दिन यानी पचमी साप दण्डे देशों में कम पाये जाते है करता है। चूहे इसका प्रिय भोजन होते दिशा की ओर से खड़ी ढलान लिये विश्वास रखने वाले अधिक मिलते है को सार्वजनिक रूप से शिष्यों को और गर्म देशो में अधिक पाये जाते हैं। सांपों की उम्र यस से बीस वर्ष है, अतः इस ओर से चढ़ना दुष्कर हैं, मैगा-गुनिया लोग तथाकथित भूत प्रेत बुलाकर उन्हें मंत्र से मारित किया । यही कारण है कि भारत, अफ्रीका के बीच होती है यह बेवजह किवंदती इसलिये उत्तर दिशा में पहाड़ पर भगाने के लिये इस दिन तरह तरह के जाता है। गुरु द्वारा मंत्रभारित होते ही थाइलैंड और श्रीलंका में सांप अधिक हैं कि साप सौ दो सौ साल तक चढ़ना पड़ता है। पहाड़ की तली पर

अनुष्ठान करना प्रारंभ कर देते है आज लगभग हर तीसरे गांव में आयोजित दीक्षा देता है सामान्यतः साप, विक्कू, जाने वाला मंत्र निम्न उद्धृत है जैसे पात्र ऊपर पत्थर, पत्थर ऊपर गार बाधे, गौरी पार्वती घरे || पेट के लिये मोर फूके, मोर गुरु के

फुके ।। गुरु कौन महादेव पार्वती के फूके। पेट पीरा उड़िया जा ||

उक्त मंत्र पढ़कर ही सिद्ध नहीं किया जा सकता है। मंत्र साधना के पीछे कुछ बंदिशें भी रहती है अगर यदिशों का उल्लंघन कर कोई लोगों

यह भी कहा जाता है कि अगर शिष्य गुरु को अपनी सेवा से प्रसन्न कर लेता है तो कठिन से कठिन मंत्र भी यह रूपातरित कर अनपढ़ गवार शिष्य को भी मंत्र प्रदान कर देता है किसी मंत्र के लिये संस्कृत ज्ञान का होना शिष्यगण उस मैदान में सर्प की तरह होते हैं। अर्चना भी की जाती है। इस दिन इस दिन हल चलाना अच्छा नहीं कैसे हो सकता है विश्व भर में सांपों चिन्हें होते हैं। की लगभग पचीस सौ जातियां पाई जाती हैं, जिनमें से केवल बारह प्रतिशत जातियों की जहरीली होती है अर्थात 2500 में से 200 जातिया ही ऐसी है जिनके काटने से मृत्यु होना संभव है शेष 2900 जातियों के सांपों में से कुछ में नाममात्र का जहर होता है और कुछ में तो जहर होता ही नहीं कम जहर वाले सांप के काटने से नशा भर हो सकता है

  • rammandir-ramlala

Related Articles

Back to top button