सुपेबेड़ा में सरकारी सुविधा का हाल बेहाल, पीने को भी नहीं मिल रहा साफ पानी, ग्रामीण बोले- हमें छोड़ दिया गया है भगवान भरोसे
1192 आबादी वाले सुपेबेड़ा गांव में 15 साल में 95 की मौत किडनी की बिमारी से 35 अब भी बिमार है. लेकिन दी जाने वाली सरकारी सुविधा में क्रियान्वयन एजेंसियों की सुस्त चाल रोड़ा बन रहा है. यहां 4 साल बाद बना उपस्वास्थ्य केंद्र उसमें भी कई खामियां हैं. वहीं दो साल पहले मंजूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की नींव अब तक खड़ी नहीं हो सकी है. पांच साल जल प्रदाय योजना शुरू करने में लग गए. ऐसी स्थिति पर ग्रामीणों ने कहा कि हमें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है.
सुपेबेड़ा में किडनी रोगियों की मौत थमने का नाम नहीं ले रहा है. यहां के ग्रामीणों को स्वास्थ्य और पानी की सुविधाएं देना सरकार की प्राथमिकता में भी है. लेकिन यहां मंजूर कार्यों के निर्माण में एजेंसी का सुस्त रवैया हो या फिर तकनीकी खामियों के चलते अधर में लटकी रही फाइले सुविधाओं में रोड़ा साबित हो रही है.
दो साल बाद अस्पताल की नींव खड़ी हो रही
मई 2022 में कांग्रेस सरकार ने सुपेबेड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन के लिए 57 लाख की मंजूरी दिया था. 7 जून को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव सुपीबेड़ा पहुंच भवन की आधार शिला भी रख दी. लेकिन दो साल बाद फरवरी 2024 में भवन का काम शुरू किया गया. निर्माण की जवाबदारी छत्तीसगढ़ मेडिकल कारपोरेशन सर्विस के जिम्मे दी गई थी. विभाग ने 6 बार कार्य के लिए टेंडर भी जारी किया, काम शुरू करने में जैसे-जैसे देरी हो रही थी. साथ ही काम की लागत बढ़ते जा रही थी और एजेंसी दूरियां बना रहे थे. अब सरकार बदलने के बाद काम फरवरी 2024 में शुरू किया जा सका है. ग्रामीणों का आरोप है कि ठेका कंपनी मन माफिक काम कर रहा है. सप्ताह भर से काम बंद है. फिलहाल काम की नींव खड़ा किया जा रहा है. काम कराने वाले विभाग सीजीएमसी में मॉनिटरिंग का अभाव है, जिसके कारण ठेकेदार काम धीमा कर रहा है.
काम देख रहे विभाग के इंजिनियर मुकेश साहू ने कहा की काम पूरा करने में साल भर का वक्त है. दो-तीन दिन किन्ही कारणों से काम बंद होगा. कार्य की बराबर मॉनिटरिंग की जा रही है.