छत्तीसगढ़बिलासपुर

पचरीघाट बैराज अब भी आधा -अधूरा, ठेकेदार और नौकरशाहों को कोई फिक्र नहीं

 

बिलासपुर। विकास कार्यों की रफ्तार पर फिर बड़ा सवाल, सरकारे बदलती रहीं, चेहरे बदलते रहे, लेकिन प्रशासन शासन के लिए विकास कार्यों की लेट लतीफी का ढर्रा जस का तस बना हुआ है। अधूरे काम भी महीने नहीं सालों से लटके पड़े है। जनता हलाकान है, परेशान है. लेकिन न जनप्रतिनिधियों को कोई चिंता है ना नौकरशाहों को कोई डर। शहर की जलभराव समस्या को खत्म करने के दावे के साथ बनाए जा रहे दोनों बैराज पचरीघाट और चांटीडीह आज भी अधूरे खड़े हैं। जिस प्रोजेक्ट को सालभर जलभराव समाधान के नाम पर तेजी से पूरा करने का वादा किया गया था. वहीं अब लापरवाही की मिसाल बन चुका है। जलसंसाधन विभाग के अफसर ठेकेदार पर दबाव बनाने में नाकाम हैं,और ठेकेदार है कि एप्रोच रोड तक नहीं तैयार कर पाया। परिणाम जाम, असुविधा और लोग मजबूर शॉर्टकट के चक्कर में रोजाना सैकड़ों लोग आधे-अधूरे, गढ्डे और कीचड़ भरे, खतरनाक पगडंडी से गुजरने को मजबूर हैं। बिना रेलिंग, बिना सुरक्षा ये पगडंडी किसी भी दिन
बड़ी दुर्घटना की वजह बन सकती है। मौके पर साफ दिखता है कि राहगीर किस तरह जान हवेली पर रखकर इस रास्ते से गुजर रहे हैं। क्षेत्र के लोग भी भड़क उठे हैं। उनका कहना है। जब काम अधूरा है, तो रास्ता क्यों खोला गया? प्रशासन सिर्फ दिखावा कर रहा है. असल काम ठप पड़ा है।

आधे अधूरे कामों से जनता और परेशान

जनता परेशानी में है, और विभागों में जिम्मेदारी का कोई अहसास नहीं। प्रश्न यही आखिर कब बदलेगा प्रशासन का रवैया? कब ये बड़े प्रोजेक्ट कागजों में निकलकर असल में पूरे होते नज़र आएंगे। फिलहाल तो शहर की जनता सिर्फ इंतजार कर और सहन कर रही है।

खतरनाक रास्तों से गुजरने को लोग मजबूर

अरपा पर बने बैराज को लेकर लोगों ने जो सपना देखा था वह अब तक पूरा नहीं हो सका है बल्कि सपने अब टूट चुके है। अरपा बैराज के ऊपर से बीच में जाने का रास्ता बनाया गया था लेकिन अत्यधिक दो पहिया वाहनों के चलने के कारण उसे भी बंद कर दिया गया जिसके कारण लोग फिर से नदी के ऊपर बने पुराने पुल से जाने की जहमत उठाने पर मजबूर हैं।

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