छत्तीसगढ़

‘IIT और PMT प्रवेश पद्धति गलत’:मैग्सेसे एवार्डी सोनम वांगचुक बोले- डॉक्टर-इंजीनियर बनने वाले साबुन तेल बेच रहे; एजुकेशन सिस्टम में बदलाव जरूरी

देश के जाने माने इंजीनियर और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सोनम वांगचुक ने भारत के सबसे बड़े एंट्रेंस एग्जाम IIT और PMT की पद्धति को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि जिस पद्धति से अभी एंट्रेंस एग्जाम हो रहा है उससे मल्टीपल क्वेश्चन रट कर आने वाले बच्चे सिलेक्ट हो रहे हैं। जबकि इसमें उन बच्चों का चयन होना चाहिए, जिनके अंदर वाकई इंजीनियरिंग और मेडिकल के क्षेत्र में कुछ करने की प्रतिभा हो।

भास्कर से विशेष बातचीत करते हुए वांगचुक ने कहा कि, विद्यार्थी रिलेटेड सब्जेक्ट को रट कर सवालों के जवाब पर टिक करके एडमिशन ले लेते हैं। इसके बाद जब वो वहां से इंजीनियर और डॉक्टर बनकर निकलते हैं तो अपने प्रोफेशन पर फोकस न करके साबुन, तेल और टूथपेस्ट बेचते हैं। इसलिए हमें प्रैक्टिकल सिस्टम के एंट्रेंस एग्जाम पर फोकस करना चाहिए।

इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के सवालों का भी दिया जवाब
इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के सवालों का भी दिया जवाब

पुराने एजुकेशन सिस्टम को बदलने की जरूरत

वांगचुक ने कहा, इससे वो लोग एडमिशन ले पाएंगे जिनके अंदर इस वाकई इसकी प्रतिभा है। वर्तमान सिस्टम में ऐसे प्रतिभाशाली छात्र गांव में रह जाते हैं। आगे नहीं बढ़ पाते हैं। उन्होंने कहा इस बारे में भारत सरकार को भी पता है। वो इस पर कुछ करना भी चाहती है, लेकिन देश की जनता पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। उन्हें एजुकेशन सिस्टम पर अपना विचार बदलने की जरूरत है।

बेहतरीन प्रॉब्लक सॉल्वर बनने के लिए मातृ भाषा में ज्ञान जरूरी
सोनम वांगचुक ने कहा कि हमें किसी भी चीज का सबसे पहले अपनी मातृ भाषा में ज्ञान होना जरूरी है। भारत में लंदन और न्यूयॉर्क की तरह अंग्रेजी भाषा में बताया जाता है। जबकि पहले उसी चीज को उनकी मातृ भाषा में बताएं, जिससे वो उसे अच्छे से समझ लें। कहा जैसे मां का दूध शरीर के लिए जरूरी है, वैसे ही मातृ भाषा मानसिक विकास के लिए जरूरी है। जब आपका सही मानसिक विकास होगा तभी आप बेहतरीन साइंटिस्ट या प्रॉब्लम सॉल्वर बन सकेंगे।

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