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एतमानगर में उत्पादित मछली बीज की पहुँच मध्यप्रदेश तक, किसानों को मिल रहा उच्च कोटि का बीज, मत्स्य पालकों को हो रही अच्छी आय

कमल महंत/कोरबा/बांगो: जिले के एतमानगर (बांगो) स्थित शासकीय मत्स्य बीज उत्पादन केंद्र पर इस वर्ष 18 करोड़ मछलियों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। जहां मानसून की बरसात के साथ ही एक्शन मोड़ में आए विभाग द्वारा उच्च कोटि के कतला, रोहू, मिरेकल, ग्रास कार्प व कॉमन कार्प मछली बीज का उत्पादन किया जा रहा है। जहां से अब तक लगभग 7 करोड़ मछली बीज का बिक्री किया जा चुका है। जिसकी मांग प्रदेश के अनेक जिलों के अलावा मध्यप्रदेश में भी है और मत्स्य पालक बड़े पैमाने में मछली पालन कर उसे स्थानीय बाजार में बेचने के साथ- साथ निकटवर्ती जिलों में आपूर्ति कर अच्छी आय अर्जित कर रहे है। विभाग के मत्स्य बीज प्रक्षेत्र एतमानगर प्रबंधक डी. आर. तांजे ने बताया कि ज्यादातर मछली पालक लोक लुभावन झांसे में आकर कलकत्ता से आने वाली मत्स्य बीज की खरीदी करते है, जिस बीज के 50 प्रतिशत का भी सफल पालन नही हो पाता। किन्तु एतमानगर मत्स्य बीज प्रक्षेत्र केंद्र में उच्च कोटि के मत्स्य बीज का उत्पादन किया जाता है। जहां स्थापित हेचरीज में मछलियों का सफल रूप से कृत्रिम प्रजनन करवाकर मछली के बच्चे (स्पोंन बीज) का उत्पादन होता है। जिसकी कीमत स्पान मिक्स की 650 रुपए में 1 लाख संख्या, अन्य 1 हजार में एक लाख तो जीरा 100 रुपए में 1 हजार व अन्य की 250 में 1 हजार रुपए तय है। फिंगर बीज की कीमत भी निर्धारित है। प्रबंधक ने आगे बताया कि अच्छी बरसात के साथ ही बीज उत्पादन का कार्य शुरू किया जाता है। यहां बने तालाब में अभिजन मछलियां हैं। मछलियों को इंड्यूड ब्रीडिंग तकनीक से (इंजेक्शन लगाकर) बीज उत्पादन किया जाता है। तीन दिन में मछली के बीज निकलना शुरू हो जाते हैं। इस तकनीक में निश्चित तापमान होने पर नर व मादा मछली को एक विशेष पौंड में फव्वारों से कृतिम वर्षा कर अनुकूल मौसम बनाकर प्रजनन करवाया जाता है। इसके बाद मछलियों के अंडों को अन्य विशेष पौंड में विशेष तापमान पर उनकी सुरक्षा की जाती है। जिसके पश्चात अंडों से बाहर आने वाली मछलियों के बच्चों को संरक्षित कर बीज तैयार किया जाता है। हालांकि स्पान उत्पादन की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है लेकिन उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य किया जाता है। जिस उन्नत नस्ल के स्वस्थ मत्स्य बीज का समय पर तालाबों में संचयन सबसे महत्त्वपूर्ण है। मत्स्य पालक जिसके पालन व विक्रय से अच्छी खासी आर्थिक आय अर्जित कर रहे है।

यहां के मत्स्य पालक आते हैं बीज खरीदी के लिए
मत्स्य बीज प्रक्षेत्र एतमानगर में उत्पादन होने वाले मत्स्य बीज खरीदी के लिए कोरबा जिले के अलावा बलरामपुर, कोरिया, महासमुंद, बिलासपुर, पेंड्रा- गौरेला- मरवाही और मध्यप्रदेश राज्य के मछली पालक मत्स्य बीज खरीदी के लिए पहुँचते है। जिन्हें बीजों को ऑक्सीजन नुमा पॉलीथिन में पैक करके दिया जाता है। जिसे मत्स्य पालक ले जाकर तालाब में डालते है और समय पर उचित खाद व चारा के साथ जिनका पालन किया जाता है।

समूह एवं समितियों को 10 प्रतिशत की छूट
एतमानगर प्रक्षेत्र के प्रबंधक बताते है कि विभाग की ओर से समूह व समितियों को मत्स्य बीज खरीदी पर 10 प्रतिशत की छूट दी जाती है। वर्तमान संचालित 40 से अधिक समूहों/समितियों द्वारा जिसका लाभ लिया जा रहा है। समय पर मछली कृषकों को मछली उत्पादन व पालन का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जिसमे कृषकों को मछली उत्पादन करने सहित उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए इसका प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमे जिले भर से प्रशिक्षक आते है तथा मत्स्य उत्पादन का तरीका सीखते है।

फार्म का विस्तार एवं सुरक्षा कार्य आवश्यक
प्रबंधक श्री तांजे ने बताया कि किसानों की मांग को देखते हुए संचालित मत्स्य बीज प्रक्षेत्र के विस्तार की आवश्यकता है। ताकि बीज का अधिक से अधिक उत्पादन होने और मछली पालको के मांग के अनुरूप उन्हें मत्स्य बीज सहज व सरल रूप से उपलब्ध हो सके। वहीं फार्म के सुरक्षा हेतु जाली तार का घेराव नही होने से पौंड में छोड़े गए बड़े मछलियों को अवैध मछलीमार रात के अंधेरे में मार ले जाते है। यदि फार्म विस्तार के साथ सुरक्षा घेरा कार्य हो जाए तो मछलियों का सुरक्षित उत्पादन और पौंडो में छोड़े गए मछलियों की बाजार में बिक्री से लाखों रुपए साल के अतिरिक्त राजस्व आय का इजाफा हो सकता है।

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