कमल महंत/कोरबा: जिले के सैकड़ो ग्राम पंचायतों को 15वें वित्त आयोग व मूलभूत के तहत मिलने वाली धनराशि महीनों बाद भी नहीं मिल सकी है। ऐसे में ग्राम पंचायतों में बुनियादी विकास के कार्य प्रभावित हो चले हैं। मुख्य रूप से भवन , गली, सड़क, नाली आदि का निर्माण कार्य रूके हुए हैं। उधर मटेरियल सप्लायर फर्म व मजदूर वर्ग ग्राम सरपंचो पर मजदूरी के लिए दबाव बना रहे हैं।
जिले के ज्यादातर गांवों में पानी की प्रमुख समस्या है, इसके साथ ही सड़क और नाली की भी समस्याएं भी मौजूद हैं। इसको लेकर समय- समय पर ग्राम पंचायतें द्वारा मूलभूत और 15वें वित्त से लोगों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन चालू वित्तीय वर्ष 2024- 25 में जिले के पंचायतों को विकास के लिए राशि नही दी गई है। जिससे गांवों का विकास बाधित है और बजट नही होने से पंचायत प्रतिनिधि विकास कार्य नही करा पा रहे है। गत विधानसभा व लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश सरकार से पंचायत जनप्रतिनिधियों को उम्मीद थी कि अब गांवों में विकास होगा, ग्राम पंचायतों में विकास कार्य कराने के लिए 15वें वित्त आयोग और मूलभूत से धनराशि जारी की जाएगी लेकिन पंचायतों को धनराशि जारी नही की गई। इससे विकास कार्य ठप्प पड़ा हैं और सरपंच इंतजार कर रहे हैं कि धनराशि मिले तो गांवों में विकास कार्य शुरू कराया जाए। वहीं अनेकों पंचायतों में इस उम्मीद से कि जब उक्त राशि मिलेगी तब संबंधित कार्य एजेंसी को भुगतान कर दिया जाएगा, सोच लेकर कराए गए कार्यों का भुगतान रुका हुआ है और कार्य एजेंसी व मजदूर वर्ग भुगतान के लिए सरपंचों पर दबाव बना रहे है। इस हालात में सरपंच खासे परेशान है। पीड़ित सरपंचों का कहना है कि गांव में विकास कार्यों की योजना बनकर तैयार है लेकिन धनराशि न मिलने से सभी कार्य अधर में लटके पड़े है। वहीं जो कार्य कराया गया है, उन कार्यों के भुगतान के लिए मटेरियल सामाग्री फर्म भुगतान व मजदूर मजदूरी के लिए दबाव बना रहे हैं। उधर सूत्रों का कहना है कि जिला पंचायत को शासन द्वारा पंचायतों के लिए धनराशि जारी कर दी गई है, किन्तु अधिकारी उस पर ब्याज कमाने के चक्कर मे आबंटन जारी नही कर रहे है। सरपंच संघ ने 15वें वित्त व मूलभूत राशि की शीघ्र मांग की है अथवा प्रदर्शन की बात कही है।