रतिजा के ग्रामीणों ने की निष्पक्ष जांच की मांग.
कमल महंत/कोरबा/पाली:वन मंत्रालय छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जल संरक्षण व जंगली जानवरों को जंगल मे ही जल उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कराने कटघोरा वनमंडल को दिए जा रहे लाखों- करोड़ों की राशि में इस वनमंडल के भ्रष्ट्र अधिकारी थोड़ा- मोड़ा कार्य कराकर बांकी राशि को डकारते हुए गुरछर्रे उड़ाने में लगे है। जिस ओर धरातल पर काम सही हो रहा है या नही इसको देखने वाला कोई नही है। शायद यही वजह है कि पाली रेंज के रतिजा बीट में 97 लाख से बनाए गए 3 तालाब में एक तालाब का मेढ़ बारिश से टूट कर बह गया जबकि 2 तालाब भी छतिग्रस्त हो गए। जिस भ्रष्ट्राचार पर पर्दा डालने विभाग अब लीपापोती में लगा है।
कटघोरा वनमंडल के पाली वन परिक्षेत्राधिकारी द्वारा अपने परिक्षेत्र के मुरली सर्किल अंतर्गत रतिजा बीट के कक्ष क्रमांक- 599 में 3 माह पहले 97 लाख के 3 तालाब का निर्माण कराया है। जिस कार्यों में जमकर धांधली किया गया। रतिजा व अड़ीकछार के जंगलों में तालाब निर्माण में मनमाने तरीके से थोड़ा- मोड़ा कार्य कराकर लाखों रुपए के बोगस भुगतान किए गए और फर्जी बिल बाउचर बनाकर शासकीय राशि का बंदरबांट किया गया। फलस्वरूप बारिश से एक तालाब का मेढ़ फूट गया जिसमें दिखावटी पिचिंग कार्य भी बह गया, जबकि दो अन्य तालाब भी छतिग्रस्त हो गए। जिसे लेकर अब विभाग लीपापोती में जुटा है। सूत्रों की माने तो तालाब निर्माण का कार्य मजदूरों से कराने की बजाय वन विभाग द्वारा मशीन से कराया गया, क्योंकि मजदूरों की तुलना मशीन से कार्य कराने पर दो गुना कम राशि लगता है। लेकिन दास्तावेज़ों में मजदूरों से काम कराने की बात सामने आ रही है। वहीं तकनीकी विषेशज्ञों की माने तो जिस तरह से 3 तालाब के कार्य मशीन के माध्यम से कराए गए है, उसमे अधिकतम 35- 40 लाख रुपए खर्च हुए होंगे। तालाब निर्माण को लेकर रतिजा और अंडीकछार के ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा मजदूरों से कार्य न कराकर मशीन से कार्य कराया गया। अगर मजदूरों से यहां कार्य कराया गया रहता तो आसपास के ग्रामीण मजदूरों को इससे कुछ दिन रोजगार मिल गया होता। लेकिन वन विभाग के अधिकारियों द्वारा मजदूरों से काम न कराकर मशीन से तालाब खनन का कार्य कराते हुए जेबें भरने का काम किया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि तालाब निर्माण में तकनीकी मापदंडों का पालन नही किया गया तथा अब तालाब फूटने पश्चात मामले में जांच की बजाय दोषियों के हौसला आफजाई करने लीपापोती का काम किया जा रहा है। यदि वास्तविक रूप से कराए गए तालाब निर्माण की निष्पक्ष जांच की जाए तो लाखों के भ्रष्ट्राचार का खुलासा होगा और भ्रष्ट्र अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। लेकिन जांच आखिर करे तो कौन करे क्योंकि सभी तक नियमानुसार भ्रष्ट्राचार की कमीशन राशि पहुँचा दी जाती है। ग्रामीणों ने तालाब निर्माण की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की अपेक्षित मांग शासन- प्रशासन से की है। वहीं पाली क्षेत्र के कुछ जनप्रतिनिधियों ने भी तालाब निर्माण की वास्तविकता की जांच को लेकर जल्द ही वनमंत्री से शिकायत की बात कही है।