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सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” को नेपाल द्वारा “अंतर्राष्ट्रीय नेपाल भारत मैत्री सम्मान”प्राप्त

 

.     नरेश चौहान -बिलासपुर। नगर के प्रतिष्ठित साहित्यकार सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” को शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय फाउंडेशन लुम्बिनी, नेपाल द्वारा वैश्विक हिंदी अंतरराष्ट्रीय कवि गोष्ठी में स्पर्धा के तहत “अंतरराष्ट्रीय नेपाल भारत मैत्री सम्मान” से सम्मानित किया गया है ! उक्त कवि गोष्ठी व स्पर्धा में में देश – विदेश से सैकड़ों साहित्यकारों ने अपनी सहभागिता निभाई, जिनमें से श्रेष्ठ साहित्यकार के चयन में सुरेश सिंह बैस शाश्वत को “अंतरराष्ट्रीय नेपाल भारत मैत्री सम्मान” दिया गया है।

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” साहित्यिक गतिविधियों एवं लेखन के साथ साथ समाजसेवक के रूप में भी कार्य करते हैं, जो समाजसेवी सामाजिक संस्था अखिल वैश्विक क्षत्रिय महासभा ट्रस्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सहित इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन के छत्तीसगढ़ स्टेट प्रवक्ता एवं समाज सेवा में लगी संस्था “हितार्थ एक सेवा” के फाउंडर मेंबर भी हैं! ये साहित्य व समाजसेवा के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से कार्यरत हैं!ज्ञातव्य हो इनकी अधिकतर रचनाएं राष्ट्रप्रेम व समाज निर्माण के लिए समर्पित रहती हैं। शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय फाउंडेशन (लुंबिनी) नेपाल के अध्यक्ष आनंद गिरि मायालु ने कहा कि इनके जैसे साहित्यकार ही समाज में परिवर्तन के वाहक बनकर,अपने जड़ों से जुड़कर व सनातन संस्कृति को प्रचारित करके अपने देश को पुनः विश्व गुरु बनाएंगे”। भूपेन्द्र श्रीवास्तव, संजय पांडे, अमृत पॉपुला, प्रभात गुप्ता, शेषलाल जलतारे, ने भी अपनी शुभकामनाएं दी है । आयोजन में भारत व नेपाल के सभी राज्यों सहित विदेश के प्रतिभागी भी शामिल थे। इसमें नवोदित साहित्यकारों के साथ कई वरिष्ठ व अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार जुड़े थे। जिसमें निम्न प्रस्तुति के लिए अंतरराष्ट्रीय कवि गोष्ठी में नेपाल भारत मैत्री सम्मान श्री बैस को प्राप्त हुआ वह भारत नेपाल मैत्री संधि शीर्षक पर आधारित थी जो केवल कुछ ही मिनट में लिखी गई थी, इस प्रस्तुति पर नेपाल की आयोजक संस्थान और प्रस्तुति के लिए निर्णायक गणों ने प्रशंसा करते हुए इस सम्मान से सम्मानित किया है।

” भारत और नेपाल जैसे दो भाई,

एक भाई है रक्षक तो दूसरा भाई सिरमौर!

सनातन और हिंदू धर्म के आराधक हैं दोनों भाई!!

सदियों का है रिश्ता, एक है सीता ससुराल तो दूसरा है‌ सीता मायका !!

भारत और नेपाल जिनके है अनुयाई ,

ऐसे भगवन् श्री राम हैं नेपाल के जमाई।।

एक है बुद्ध की जन्मभूमि तो एक है बुद्ध की कर्मभूमि।।

ऐसे अटूट बंधन में बंधे हैं भारत- नेपाल दो भाई ।।

कल कल नदियाँ करती दोनों को है सिंचित,

और जिनके सरपरस्त हैं गिरिराज हिमालय ।।

कालीगंडकी नदी नेपाल में प्रगट भए श्री शालिग्राम,

आज अयोध्या भारत में विराजते साक्षात प्राण प्रतिष्ठित श्री राम।।”

 

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