छत्तीसगढ़कोरबापाली

सेंद्रियपाली में पोस्ट ग्रेजुएट महिला सरपंच की अगुवाई: नारी सशक्तिकरण और विकास की नई मिसाल”


कमल महंत/कोरबा/पाली/भारत एक ग्राम प्रधान देश है। जहां की अधिकतर आबादी गांव में निवास करती है। गांव के विकास एवं छोटे- मोटे मामले के निपटारे के लिए ग्राम पंचायत का गठन किया गया है। जिसमे महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए समान आरक्षण दिया है। जिसका उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना व नारी शक्ति में मजबूती लाना है। आज राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी उनके बढ़ते चेतना का प्रतीक है। पंचायती राज में महिलाओं की बढ़ती भूमिका के कारण समाज मे उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी है तो जवाबदारी मिलने से समाज के प्रति अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन कर मिशाल कायम कर रहीं है। सेन्द्रीपाली कि महिला सरपंच एवं निर्वाचित महिला पंचों द्वारा भी जिले के विकास में अपनी अहम भागीदारी निभा रही है।

पाली जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत सेन्द्रीपाली, जहां रीता टेकाम सरपंच निर्वाचित है। जिसमे शामिल 12 पंच महिलाएं एवं 7 पुरुष पंच है। लगभग 2203 की जनसंख्या व 1200 मतदाता संख्या वाले इस ग्राम की सरपंच बनने के बाद ही रीता टेकाम ने गांव के गंभीर मसले पर गौर करते हुए ग्रामीण जनता को अनेक सुविधाएं मुहैया करायी और पंचों की मदद से गांव की बेहतरी के लिए विकास के कार्यों को अंजाम देते हुए मिशाल कायम कर रहीं है।

सरपंच निर्वाचित बाद कराए गए आवश्यकता वाले अहम कार्य
सेन्द्रीपाली पंचायत के डेढ़ किलोमीटर पर बसे आश्रित टेकाममुड़ा मोहल्ला, जहां 12- 13 घरों के परिवार निवासरत है। यहां के निवासियों को अपने मोहल्ले से मुख्यग्राम आने जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, क्योंकि आवागमन वाले कच्चे मार्ग के मध्य खेत होने के कारण पैदल रास्ता तय करना पड़ता था। जहां बारिश के दिनों में समस्या काफी बढ़ जाती थी। सरपंच रीता टेकाम ने ग्राम की कमान संभालने के बाद सर्वप्रथम 10 लाख के एक पुलिया स्वीकृत करा और इस मार्ग के मध्य आवश्यकता वाले स्थान पर निर्माण करवाया। जिसके निर्माण होने से टेकाममुड़ा मोहल्ला के निवासियों को अब आने- जाने में किसी प्रकार की दुविधा नही होती तथा अब दुपहिया, चारपहिया वाहनों की आवाजाही से लोगों की राहें और भी आसान हो गई। इसी तरह मुख्यग्राम के आश्रित सेमारतरई बस्ती भीमसेनिया मार्ग में पुल नही होने से यहां के ग्रामीणों को भी आवागमन में परेशानी झेलनी पड़ती थी। सरपंच ने इस मार्ग के दो किलोमीटर के दायरे में चार पुल- पुलिया का निर्माण कराया, जिसमे एक बारहमासी बहने वाले नाला में 20 लाख के पुलिया तो जरूरत वाले तीन अन्य स्थान पर 10- 10 लाख के पुल का निर्माण कराया। जिसके बाद यह मार्ग भी लोगों के लिए आसान हो गई। बैगापारा मोहल्ला की गली कच्ची होने से बरसात के मौसम में कीचड़ के कारण पैदल व मोटर सायकिल सवार अक्सर गिर जाते थे। सरपंच ने इस गली का भी 8 लाख की लागत वाले 200 मीटर के कांक्रीटीकरण का कार्य करा दिया।

उपेक्षित ग्राम की सुध लेकर करायी विकास के कार्य
लगभग 800 की आबादी वाले सेन्द्रीपाली के ग्राम चटुवाभौना जहां के विकास को लेकर तात्कालीन समय में अनदेखी किये जाने से यह ग्राम उपेक्षित पड़ा था और यहां के निवासी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे थे। सरपंच रीता टेकाम ने इस ग्राम का सुध लेते हुए 2 मोहल्ले में सीसी कांक्रीट सड़क का निर्माण कराया। 3 हेंडपम्पो में सबमर्सिबल पंप स्थापित व सिन्टेक्स के माध्यम से लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करायी। ग्राम के मुख्य चौंक पर 2 हाईमास्क लाइट तो मोहल्ले के 18 स्थान पर स्ट्रीट लाइट लगवाई गई। सरपंच की क्रियाशील सोच व कार्यों से चटुवाभौना के निवासियों को बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिला। जिससे वे काफी खुश है। जिसे लेकर इस ग्राम के निवासी ओमप्रकाश खैरवार ने कहा कि लगभग 8- 10 साल से हमारा ग्राम उपेक्षित पड़ा विकास को ताक रहा था। लेकिन वर्तमान सरपंच ने सुध लेते हुए गांव के विकास व बुनियादी जरूरतों के कार्यों को प्राथमिकता दी, जो काफी प्रशंसनीय है।

जमीन के फर्जीवाड़े व दलालों पर लगाई अंकुश
यहां के वृद्धवय ग्रामीणों ने बताया कि पहले ग्राम में जमीन दलालों का जमावड़ा लगा रहता था, जो गांव के भोले- भाले लोगों को बहला- फुसलाकर उनकी जमीन का फर्जीवाड़ा तथा औने- पौने दाम पर खरीद बिक्री का कार्य करते थे। वहीं पटवारी संबंधित कोई भी कार्य बिना कलम पूजा के नही होता था। जाति निवास, आमदनी सहित किसानों को भूमि संबंधी कार्यों के लिए भटकना पड़ता था। यहां दलाल वर्ग सक्रिय रहते थे जो घर- घर जाकर पटवारी से जुड़े कार्य कराने के एवज में ग्रामीणों से रकम ऐंठ लेते थे और ज्यादातर काम कराया भी नही जाता था। जिससे वे काफी ज्यादा त्रस्त थे। लेकिन वर्तमान सरपंच ने ग्रामीणों की भूमि का फर्जीवाड़ा और दलाली कार्य पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाते हुए संबंधितों को ऐसा कृत्य न दोहराने हिदायत दी गई। जिसके बाद से पटवारी संबंधित कार्यों में काफी सुधार आया और दलाल वर्ग भी जमीदोज हो गए। अब यहां के ग्रामीणों के जमीन से जुड़े सभी कार्य बिना खर्च के आसानी से हो जाते है वहीं जाति निवास, आमदनी व अन्य के लिए चक्कर काटना नही पड़ता। इसके लिए ग्रामीणों ने सरपंच का धन्यवाद ज्ञापित किया है।

उचित शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता सेवाओं के देखरवख हेतु ग्राम सेवा समिति का गठन
सरपंच श्रीमती रीता टेकाम ने अपनी पंचायत में ग्राम सेवा समिति का गठन किया है। जिसमे गांव के युवा वर्ग को प्राथमिकता दी गई है। सरपंच ने बताया कि जिसका उद्देश्य उचित शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की देखरेख और ग्राम की स्वच्छता संबंधित समस्याओं का निराकरण है। गठित समिति में वर्तमान 11 युवा शामिल है जो संचालित आंगनबाड़ी, स्कूलों में जाकर बच्चों को मिलने वाली शिक्षा एवं खानपान व्यवस्था का जायजा, उप स्वास्थ्य केंद्र में मरीजो के उपचार एवं ग्राम के साफ- सफाई व स्वच्छता पर विशेष ध्यान दे रहे है। वहीं समय- समय पर स्वास्थ्य शिविर का आयोजन भी कराया जाता है। जिसमे ग्रामीणजन शामिल हो अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराते है। ओडीएफ घोषित ग्राम के ग्रामीणों को स्वच्छता की दिशा में शौचालय का शत प्रतिशत उपयोग करने सहित साफ- सफाई कार्य के लिए भी प्रेरित किया जाता रहता है। इस हेतु स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत गांव में 7 लाख की लागत से 2 कचरा शेड, 10 स्थानों पर कूड़ादान और 4 दर्जन से अधिक जगहों पर सोख्ता गड्ढा बनवाया गया है। जिसे लेकर ग्रामीणों का निरंतर अपेक्षित सहयोग मिल रहा है। वहीं घर- घर का कचरा संग्रहण के लिए रिक्शा का मांग संबंधित अधिकारियों से किया गया है। जिसके उपलब्ध होने से ग्राम के स्वच्छता कार्य मे और भी बढ़ोतरी होगी।

महिलाओं के जनप्रतिनिधि बनने से निर्णय क्षमता व विकास कार्यों में हो रहा वृद्धि- चंद्रभवन सिंह
सरपंच पति एवं पाली तानाखार विधानसभा विधायक के चैतमा चौकी प्रतिनिधि चंद्रभवन सिंग टेकाम ने कहा कि महिला जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में मौलिक विकास के नए- नए आयाम खुल रहे है। चूंकि महिला जनप्रतिनिधियों की यह कहकर भी आलोचना की जाती है कि पंच एवं सरपंच महिलाएं अपने घर के पुरुष सदस्यों पर निर्भर हो जाती है और गांव सामाजिक, आर्थिक रूप से विकसित नही हो पाती। लेकिन यह भी सत्य है कि ग्रामीण विकास में महिला जनशक्ति की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सारी आलोचनाओं के बावजूद भी महिला जनप्रतिनिधियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है और जिनके प्रतिनिधित्व से विकास कार्यों में बढ़ोतरी हो रही है। महिला जनप्रतिनिधियों को किसी भी त्रुटि, कमी या आलोचना की परवाह किये बिना सभी अधिकार और सभी विकास की प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए, तभी सही अर्थों में ग्रामीण विकास सुनिश्चित हो पाएगा।

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