स्वदेशी के मंत्र से आत्मनिर्भर होगा भारत
भारत के साथ टैरिफ समझौते में अमेरिका की ओर से बनाए जा रहे दबाव के तहत 25 प्रतिशत का टैरिफ न सिर्फ अतार्किक है बल्कि भारत के ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था व स्वावलंबन पर सीधा हमला है। इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का “स्वदेशी” और “आत्मनिर्भर भारत” का आह्वान अब सिर्फ भावनात्मक नहीं बल्कि रणनीतिक जवाब है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था सिर्फ खेतों और डेयरी क्षेत्र तक सीमित नहीं है। भारत का यह एक सामाजिक आर्थिक ढांचा है जिसमें छोटे किसान, महिला स्व-सहायता समूह, सहकारी समितियाँ और पारंपरिक उत्पादन श्रृंखला शामिल हैं। भारत के 86 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत हैं जिनकी जोत दो हेक्टेयर से भी कम है। देश की आठ करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवार डेयरी क्षेत्र से जुड़े हैं। इनमें से अधिकांश महिलाएं और भूमिहीन किसान शामिल हैं। यह पूरा समूह बेहद संवेदनशील है जिसकी आजीविका के लिए सरकार पूरा सहयोग व समर्थन देती है। इतनी बड़ी जनसंख्या का पूरा ढांचा न्यूनमत समर्थन मूल्य (MSP), सब्सिडी और सीमा शुल्क पर निर्भर करता है।
ग्रामीण अर्थव्य़वस्था की धुरी कृषि व डेयरी के हितों की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। टैरिफ संरचना की रक्षा करना, स्थानीय मूल्य श्रृंखलाओं को
मज़बूत करना, किसान उत्पादक संगठन, कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग इकाइयों को मजबूत बनाना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, पोषण और पारंपरिक कृषि विविधता की रक्षा करने के साथ ग्रामीण जीवन और आजीविका की सुरक्षा करने के लिए सरकार सभी प्रकार से प्रतिबद्ध है।
इन्हीं आशंकाओं के मद्देनजर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने काशी प्रवास में देश की जनता से स्वदेशी का नारा बुलंद किया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया ने स्वदेशी हथियाओं की ताकत का अऩुभव किया है। प्रधानमंत्री ने इसे भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ताकत कहा। वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता और आशंका का वातावरण है। इस अस्थिरता से उबारने के लिए सभी देश अपने राष्ट्रीय हितों के संरक्षण की नीति अपना रहे हैं। ऐसे में भारत अलग कैसे रह सकता है। हम दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहे हैं। इसके मद्देनजर हमे भी अपने राष्ट्रीय हितों के प्रति सजग रहते हुए किसानों, लघु उद्योगों और नौजवानों के रोजगार के प्रति सजग रहना होगा। तीसरी अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दलगत भाव से ऊपर उठकर समस्त दल, प्रबुद्ध नागरिकों और समाज को स्वदेशी के ही मंत्र को उद्घोष करना चाहिए। हम स्वदेशी को अपनाएं और स्वदेशी को बढ़ाएं।
गत दशक में भारत की अर्थव्यवस्था उत्तरोत्तर प्रगति के शिखर पर जा रही है । वर्ष 2013- 2014 में हम 11 वें नंबर की अर्थव्यवस्था थे जो आज चौथे नंबर पर है , और अब तीव्र गति से तीसरे नंबर की ओर बढ़ रहे है । हमारी विकास दर 6.4 % की गति से बढ़ रही है | रक्षा, कृषि सहित सभी क्षेत्रों में भारत का प्रभाव बढ़ा है । विश्व बाजार में भी भारत की भागीदारी भी बढ़ी है । हमारी गरीब कल्याण की योजनाओं के कारण 24 करोड़ से अधिक गरीब गरीबी रेखा से ऊपर आए है । ढांचागत विकास सहित भारत ने सभी क्षेत्रों में प्रगति की है । हमारी मूलभूत सुविधाओं का स्तर विश्व स्तरीय हो रहा है | ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम भोलेनाथ को पूजते भी हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर हम अपनी सुरक्षा के लिए कालभैरव भी बन जाते हैं ।बढ़ती आर्थिक प्रगति, सक्षम सुरक्षा नीति एवं बढ़ता भारत का वैश्विक प्रभाव दुनिया के देशों में भारत के प्रति ईर्ष्या का भाव भी उत्पन्न कर रहा है ।
अमेरिका की कृषि व्यवस्था औद्योगिक, सब्सिडी-समर्थित और बड़े पैमाने वाली है। इसके मुकाबले भारत में कृषि क्षेत्र में छोटी जोत वाले किसान शामिल है। भारत में कृषि पर निर्भर जनसंख्या लगभग 55% है जो बहुतांश गांव में रहती है | भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि क्षेत्र का 15%योगदान है | भारत में खेती की सफलता पूरी तरह मौसम की अनिश्चितता पर निर्भर है। श्रम-आधारित व्यवस्था पर टिकी भारत की खेती की तुलना अमेरिका की खेती से नहीं की जा सकती है। ऐसे में अमेरिका व भारत जैसे देश परस्पर समान टैरिफ पर नहीं आ सकते हैं। भारत का कपड़ा, खाद्यान्न, चीनी,डेयरी एवं मत्स्य व्यवसाय कृषि के साथ ही जुड़ता है । कृषि व डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को अमेरिका के लिए खोलने की जिद बेमानी होगी। यदि ऐसा हुआ तो अमेरिकी सस्ते डेयरी उत्पादों से भारतीय बाजार पट जाएगा। महिलाओं के स्व-सहायता समूह, जैसे अमूल जैसी सहकारी संस्थाएं आर्थिक संकट में पड़ जाएंगी। भारतीय किसानों के उत्पादों की कीमतें बाजार में कौड़ियो के भाव बिकने को मजबूर होंगी। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक संकट, बेरोजगारी, पलायन और असंतोष शुरू हो सकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने गत दशक में कृषि एवं किसान कल्याणके लिए अनेक नीतियां बनाई है । पिछले एक दशक में कृषि बजट में 5 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जो बजट 2013- 2014 में 21,933 करोड़ की तुलना में 2023-2024 में 1.25 लाख करोड़ हो गया | सहकारिता क्षेत्र भी भारत में महिलाओं एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को शक्तिशाली करने में जुटा है | ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि एवं कृषक कल्याण, महिला सुरक्षा, डेयरी उद्योगों का संरक्षण एवं सहकारिता का पोषण यह हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है । जिसका आह्वान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया है ।
स्वदेशी केवल तत्कालीन नहीं बल्कि भारत की आत्मा का उद्घोष है। यह भारत की एकता, देशभक्ति एवं सामूहिक आकांक्षाओं का शंखनाद है। भारत में स्वदेशी का मंत्र समय-समय पर अलग-अलग रूपों में प्रकट हुआ है। यही मंत्र ब्रिटिश गुलामी के समय विदेशी सत्ता को उखाड़ने में भी विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर, वंदे मातरम के रूप में आया। प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में कराए गए परमाणु विस्फोट के बाद भी भारत में प्रतिबंध लगाए गए थे, जिसका जवाब स्वदेशी के नारे ने दिया था। पूरी दुनिया को स्वदेशी भाव से समुचित प्रत्युत्तर दिया गया था। स्वदेशी के मंत्र से आवश्यक संयम एवं स्वावलंबन का भाव जगेगा और अनावश्यक रूप से विदेशी पूंजी पर निर्भरता को मोह से हम बचेंगे। स्वदेशी के मंत्र पर अमल से डिफेंस उद्योग का विकास होगा, कृषि पैदावार बढ़ेगी, श्रम प्रधान उद्योग का विस्तार होगा। सार्वजनिक सेवाओँ और मूलभूत उद्योगों का विस्तार होने से हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार मिलेगा। प्रधान्मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इन्हीं तथ्यों के आधार पर स्वदेशी के व्यवहार का आह्वान किया है। हम इसे अपने जीव नें अपना कर भारत को पुनः अजेय ताकत के रूप में स्थापित कर सकते हैँ। यही समय की मांग है।
शिवप्रकाश
(राष्ट्रीय सह महामंत्री संगठन भाजपा)