समनापुर ब्ल़ॉक में महात्मा गांधी सेवा आश्रम द्वारा बैगा आदिवासियों और सरकारी अधिकारियों के बीच अंतर संवाद का आयोजन
समनापुर/भुवनेश्वर पड़वार (पप्पू)
16 दिसंबर 2023 को समनापुर ब्लॉक में महात्मा गांधी सेवा आश्रम द्वारा सरकारी अधिकारियों के साथ अंतर संवाद का
आयोजन किया गया। जिसमें सी. पी साकेत (सीईओ समनापुर), पी आर राजपूत (बीईओ, ए सी टी डब्लू, समनापुर),
न्यूसीड (NIW CYD ) के जिला कॉर्डिनेटर बलवंत राहंगगड़ले, न्यूसीड (NIWCYD) के ब्लॉक कॉर्डिनेटर विनोद साहू, समाजिक कार्यकर्ता शोभा तिवारी, एकता परिष्द की सरस्वती उईके और अशोक ट्रस्ट ( ATREE) के मोहित महाजन ने लोगों के साथ वन अधिकार अधिनम पर बातचीत की साथ ही, लोगों की समस्याओं को सुना और उसका समाधान निकाला। इस कार्यक्रम में समानपुर ब्लॉक से 13 गांव से 70 ग्रमीणों ने भाग लिया।
महात्मा गांधी सेवा आश्रम ने पिछले 3 महीनों में बैगा आधिवासी और वन अधिकार को लेकर समानापुर और मंडला ब्लॉक में एक सर्वे कराया था। जिसमें समानापुर ब्लॉक के 45 गांव से 5234 लोगों के शामिल थे। इस दौरान महात्मा गांधी सेवा आश्रम की टीम को ये जानकारी प्राप्त हुई की 108 ऐसे दावें हैं जिनकी पावती लोगों को प्राप्त तो हो गई है पर इस पर कार्यवाही अभी तक नहीं हुई है। कई ऐसे मामले सामने आये जिसमें लोगों सही जानकारी न होने के कारण भ्रम का महौल है। इसलिए महात्मा गांधी सेवा आश्रम की टीम ने अतंर संवाद करके सरकारी व्यवस्था और ग्रामीणों के बीच पूल का काम किया।
सी. पी साकेत जी ने लोगों से बातचीत करते वक्त उन्हें सरकारी व्यवस्था पर भरोसा रखने के बात कही। उन्हें कहा “हम आपकी मदद के लिए ही हैं और हम भी चाहते हैं कि आपको सरकारी लाभ प्राप्त हों पर कई बार ग्रामीणों की मामूली कागजी कमियों के कारण लाभ आप तक नहीं पहुंच पाता पर आपको निराश होने की जरूरत नहीं है, इसके लिए हम आपकी पूरी सहायता करेंगे ताकि आप अपने अधिकारों से वंचित न हों. मैं आभारी हूं महात्मा गांधी सेवा आश्रम की टीम का जिन्होंने ये अंतर संवाद का आयोजन किया। इसकी मदद से हम लोगों की समस्याओं को और बेहतर तरीके से जान पाए।“ इसी बात का समर्थन करते हुए उन्होंने आए हुए कई ग्रामीणों से बात की और उनकी समस्या का समाधान भी निकाला।
इसी वार्ता को आगे बढ़ाते हुए पी आर राजपूत जी ने कहा “ग्रामीणों को अपने अधिकारों के लिए सजग होना पड़ेगा और अपनी अधिकारों की लड़ाई आप ही लड़नी पड़ेगी, जब कभी भी सरकारी अधिकारी आपके गांव आते हैं तो उनकी बाते सुनने के साथ-साथ आप ये भी उन्हें बताईए कि वो कैसे गांव में सरकारी लाभों को पहुंचा सकते हैं और उसमें गांव वाले उनकी सहायता कैसे कर सकते हैं।“
इसके बाद गांव वालों ने अपनी समस्या का उदहारण देते हुए बताया कि कई बार वन मित्र पोर्टल खुलने की जानकारी उन तक पहुंच ही नहीं पाती है। इसके लिए कोई समाधान निकाला जाए। इसी के साथ लोगों ने वन मित्र पोर्टल को खोलने की समय सीमा को बढ़ाने का भी आग्रह किया।
बलवंत राहंगगड़ले ने अपने वक्तव्य में कहा “आदिवसी अपने अधिकारों के इसलिए भटक रहे हैं कि उन्हें वन अधिकार की जानकारी कम है और जानकारियों के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। अदिवासी अधिकारों को बचाने के लिए एक लंबी लड़ाई के बाद ही वन अधिकार अधिनियम 2006 सत्ह पर आया इसलिए जरूरी है कि आदिवासी शिक्षित हों और अपने अधिकारियों की जानकारी रखें ताकि भविष्य में अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए किसी पर निर्भर न रहना पड़े।“
समाजिक कार्यकर्ता शोभा तिवारी ने कहा “आज डिण्डौरी 105 गांव से 90-80 गांव में सिमिट कर रह गया है। जमीन की लड़ाई सिर्फ एक पीढ़ी की नहीं है अगर आदिवासियों को अपनी जमीन, अपना जंगल बचाना है तो उन्हें लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि आजकल आदिवासी समुदाय शराब के नशे में डूबता जा रहा है जो उनके लिए एक अभिशाप बन गया है। अगर वो समाज की उन्नति चाहते हैं तो उन्हें नशे के दंश से दूर रहना होगा।“
वहीं एकता परिष्द की सरस्वती उईके ने आदिवासी समुदाय को जगरूक करते हुए कहा “हमें एक ऐसा समाज नहीं बनना है तो केवल बाबूओं और लोगों की बातें सुनकर अमल करें, हमें सवाल करने वाला समाज बनने की जरूरत है। क्योंकि वन अधिकारों को लेकर हमसे ज्यादा कोई नहीं जानता और हमें लोगों को बताना चाहिए कि वन अधिकार के मायने हमारे लिए क्या हैं। वो सिर्फ जमीन की लड़ाई न होते हुए हमारे लिए अस्तित्व की लड़ाई है जिसमें हमारी संस्कृति, भाषा और हमारे पुरखे बसते हैं।“
पूरा कार्यक्रम में काफी चहल पहल बनी रही और दोनों और से बातचीत का सिलसिला चलता रहा। लोगों को इस कार्यक्रम से बहुत खुशी मिली क्योंकि उनका मानना था कि अधिकारियों से वो सीधे संवाद नहीं कर पाते हैं और इस कार्यक्रम कि वजह से वो अधिकारियों से सीधी बात कर पाएं और अपनी समस्या को उनके सामने रख पाएं। जिन संमस्याओं के लिए वो महीनों के परेशान हो रहे थे उनका समाधान कुछ ही मिनटों में उन्हें मिल गया। समनापुर में होने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन महात्मा गांधी सेवा आश्रम की डिण्डौरी टीम ने किया था। जिसमें प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर कामीनी आठवाले, मोनिका मरांडी (मील ऑफिसर), वॉलेंटियर रामकुमार, सुकेश, रंगीता शामिल थीं।