मध्य प्रदेश

अयोध्या से रामेश्वरम तक की पदयात्रा के दौरान डिंडोरी प्रवास पर पहुंची वाटर वूमेन शिप्रा पाठक

अयोध्या वैश्विक अध्यात्म की राजधानी बनेगा:शिप्रा पाठक

डिंडोरी प्रवास के दौरान नर्मदा तट में किया विश्राम मां नर्मदा की पूजा अर्चना एवं महा आरती के बाद किया प्रसादी का वितरण

डिंडोरी (प्रकाश मिश्रा)- वाटर वूमेन के रूप में देश भर में ख्याति प्राप्त साध्वी शिप्रा पाठक एक बार फिर अपने 4000 किलोमीटर पदयात्रा के लक्ष्य के साथ मां नर्मदा के तटों में भ्रमण के लिए निकल पड़ी है। दरअसल शिप्रा पाठक जी अयोध्या से रामेश्वरम तक की पदयात्रा करने का बीड़ा उठाया है उनके इस पावन कार्य में उनके परिवारजन भी उनके साथ है। पदयात्रा के दौरान बड़ी संख्या में उनके अनुयायी जगह-जगह पर उनका साथ देते नजर आ रहे हैं। शिप्रा पाठक जी की पद यात्रा 27 नवंबर को अयोध्या से प्रारंभ हुई थी जो उत्तर प्रदेश के दर्जनों जनपदों से होते हुए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के सतना,शहडोल,अमरकंटक,v
करंजिया,गोरखपुर होकर लक्ष्मण मडवा से डिंडोरी पहुंची। पहले से पद यात्रा के पहुंचने की सूचना पर लक्ष्मण मडवा डिंडोरी में सैकड़ों रामभक्तों ने स्वागत किया। मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से आगे बढ़ते हुए शिप्रा पाठक नर्मदा जी के पहले बड़े पड़ाव पवित्र नगरी डिंडोरी पहुंची जहां पर उन्होंने मां नर्मदा के तट में विश्राम किया और संध्या काल में पूजा अर्चना करने के बाद महा आरती में सम्मिलित हुई। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तगण उनके साथ मौजूद रहे। महाआरती के बाद शिप्रा पाठक ने छोटी-छोटी कन्याओं का पूजन किया और उन्हें प्रसादी का वितरण भी किया।

उनके इस प्रवास के दौरान हमारे नर्मदा की पुकार के जिला ब्यूरो प्रकाश मिश्रा को भी उनकी सेवा का अवसर प्राप्त हुआ। शिप्रा दीदी उनके आमंत्रण पर उनके घर पहुंची जहां उन्होंने प्रसादी ग्रहण की और परिवार से मुलाकात कर मां नर्मदा की कृपा प्राप्त होने और लगातर उन्नति करने का आशीर्वाद भी दिया। बता दें कि शिप्रा पाठक ने पूर्व भी मां नर्मदा की संपूर्ण परिक्रमा कर चुकी हैं उनके द्वारा हरित क्रांति का भी संकल्प लिया गया है जिसके अंतर्गत एक करोड़ पौधे मां नर्मदा के तटों पर लगाने का संकल्प है जिसमें से लगभग 14 लाख पौधों का रोपण उनके द्वारा मां नर्मदा के विभिन्न तटों में किया जा चुका है । वर्तमान समय में जिस पदयात्रा को लक्ष्य बनाकर शिप्रा पाठक मां नर्मदा के तटों में भ्रमण कर रही है वहां उनका उद्देश्य श्री राम जानकी वन गमन मार्ग को सुदृढ़ और सरल बनाना है ।शिप्रा पाठक ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य माता जानकी की आस्था और विश्वास को आम जनों के बीच कायम रखना है। यात्रा के दौरान ही मिलने वाले आम जनों को जल संरक्षण के लिए भी प्रेरित करने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि श्री राम के समय काल में जिस प्रकार वसुंधरा वनों से आच्छादित थी एक बार फिर इन वनों को हरा भरा करने की आवश्यकता है जिससे पर्यावरण संतुलित होगा।

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