सुरेश सिंह बैस/बिलासपुर। कहते हैं लालच इंसान की बुद्धि को हर लेता है और वह अपने ही भविष्य में आग लगा देता है। ऐसा ही कुछ किया रेलवे कर्मचारी आशीष पत्रों ने जिसने रेलवे के दो ठेका सफाई कर्मचारियों को रेलवे में नियमित नौकरी लगाने के नाम पर करीब आठ लाख रुपये ठग लिए। इस मामले में आरोपी को तीन साल की सश्रम कारावास और ₹10,000 का जुर्माने की सजा हुई है। रेलवे के रिजर्वेशन सुपरवाइजर पर ठगी का आरोप है। हेमूनगर में रहने वाला भारत यादव रेलवे ठेकेदार सतीश सिंह के साथ 2016 से सफाई का काम कर रहा था। रेलवे के कंस्ट्रक्शन कॉलोनी में क्वार्टर की सफाई के दौरान उसकी पहचान आशीष पात्रो से हुई जो रेलवे में रिजर्वेशन सुपरवाइजर था और उस समय डीआरएम और जीएम ऑफिस में काम करता था। भरत यादव के साथ उसके ही मोहल्ले में रहने वाला उसका मित्र प्रकाश यादव भी सफाई कर्मचारी था। दोनों को आशीष पात्रो ने रेलवे में चतुर्थ श्रेणी चपरासी के पद पर नौकरी लगने का झांसा दिया और पांच लाख रुपए की मांग की। अपने सुनहरे और सुरक्षित भविष्य की आशा में दोनों ने ही अपने घर वालों को मनाया और रेगुलर नौकरी की उम्मीद में घर वालों ने भी जीवन भर की जमा पूंजी इनके हाथ दे दी। भरत ने किस्तों में आशीष को चार लाख ₹50000 और प्रकाश ने भी किसी तरह 3 लाख 40,000 रु आशीष पात्रो को दिए। शेष रकम नौकरी लगने के बाद देने की बात तय हुई, लेकिन ना तो नौकरी लगनी थी और ना उन्हें लगी। और ना ही आशीष पात्रो ने इन्हें रकम लौटाई। भरत ने तो रेलवे में नौकरी मिलने की उम्मीद में अपनी बड़ी बहन की शादी के लिए जोड़ी गई एफडी भी तुड़वा ली थी, यहां तक की उसकी मां ने कर्ज लेकर रुपए दिए थे, इस उम्मीद में कि उनका बेटा रेल कर्मचारी बन जाएगा। इसी बीच आशीष पात्रो का तबादला उड़ीसा के बृजराज नगर हो गया। नौकरी नहीं लगने पर शुरू में तो वह पैसे लौटाने की बात करता रहा, लेकिन बाद में उसने कॉल रिसीव करना भी बंद कर दिया। खुद के ठगे जाने का एहसास होने पर दोनों ने ही आशीष पात्रो के खिलाफ तोरवा थाने में शिकायत दर्ज की थी। इस बीच जानकारी हुई कि आशीष पात्रो के खिलाफ साल 2018 में सिविल लाइन थाने में भी एक मामला दर्ज है, जिसमें उसने टिकरापारा में रहने वाले बलजीत सिंह चावला को रेलवे में कैंटीन दिलाने के नाम पर उससे पंद्रह लाख रुपए लिए थे। इस मामले में भी रेलवे कैंटीन का ठेका नहीं मिला और आशीष पात्रो ने बलजीत को रुपए नहीं लौटाए, जिसके बाद उसके खिलाफ शिकायत की गई थी।इधर गिरफ्तारी के बाद से ही रेल कर्मी आशीष पात्रो लगातार निचली अदालत और हाईकोर्ट में भी दर्जनों बार जमानत का प्रयास कर चुका है। लेकिन निर्धन बेरोजगारों को ठगे जाने के मामले को अदालत ने गंभीरता से लिया और उसकी जमानत याचिका हर बार खारिज हुई। वही पता चला कि आशीष पात्रो दोनों पीड़ितों को दो लाख रुपये देकर समझौते का भी प्रयास किया था, उसकी यह कोशिश भी सफल नहीं हुई। इस मामले में माननीय न्यायाधीश मनीषा ठाकुर की अदालत ने आरोपी आशीष पात्रो को तीन साल की सजा सुनाई है।सच ही कहा गया है कि गरीब की आह में बहुत ताकत होती है, जो किसी को भी बर्बाद कर सकती है। आशीष पात्रो के पास अच्छी भली रेलवे की नौकरी थी। वह चाहता तो पूरी जिंदगी आराम से गुजर सकता था लेकिन उसकी फितरत में ही ठगी और फरेब था, जिसने उसका पूरा भविष्य तबाह कर दिया।
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