
2013 से चल रहा था घोटाला
पुलिस जांच में पता चला कि यह घोटाला वर्ष 2013 से 2022 के बीच अंजाम दिया गया। इस दौरान विभिन्न किसानों के डीएमआर कैश अकाउंट, ग्राम पंचायतों के खाते, समितियों के केसीसी अकाउंट, एमटी लोन, गोडाउन लोन, निजी बचत खाते और नकद आहरण के माध्यम से करोड़ों की हेराफेरी की गई।
गिरफ्तार आरोपियों में कई उच्चाधिकारी शामिल
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सहायक मुख्य प्रवेक्षक अशोक सोनी, संस्था प्रबंधक लक्ष्मण प्रसाद देवांगन, संस्था प्रबंधक (शंकरगढ़) विजय उइके, प्रभारी लिपिक तबारक अली, प्रभारी अतिरिक्त प्रबंधक (अंबिकापुर) राजेंद्र पांडेय, समिति सेवक सुदेश यादव, सहायक मुख्य पर्यवेक्षक एतबल सिंह, कंप्यूटर ऑपरेटर प्रकाश कुमार सिंह, सहायक लेखापाल जगदीश भगत, शाखा प्रबंधक सबल राय और वरिष्ठ पर्यवेक्षक विकास चंद्र पांडवी शामिल हैं।
फर्जी वाउचर और सिग्नेचर का सहारा
बलरामपुर पुलिस अधीक्षक वैभव बैंकर ने बताया कि जांच में फर्जी वाउचर तैयार करना और अन्य व्यक्तियों के हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर लेन-देन करना पाया गया। मामले में IPC की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120B और 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
जांच जारी, अन्य नाम भी आ सकते हैं सामने
एसपी ने बताया कि इस घोटाले की जांच अभी भी जारी है और अन्य बैंक खातों की भी जांच की जा रही है। आगे जांच में जो भी नाम या सबूत सामने आएंगे, उनके आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला राज्य में सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कठोर निगरानी तंत्र की आवश्यकता को उजागर करता है।