अमित शाह का ऐलान: 31 मार्च 2026 तक भारत होगा नक्सल मुक्त, ‘लाल आतंक’ के खात्मे का अंतिम चरण शुरू
नई दिल्ली में रविवार को ‘भारत मंथन 2025: नक्सल मुक्त भारत, पीएम मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक का अंत’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह से नक्सलवाद से मुक्त** कर दिया जाए। शाह ने स्पष्ट किया कि नक्सलवाद केवल बंदूकधारी समस्या नहीं है, बल्कि यह एक वैचारिक, कानूनी और वित्तीय नेटवर्क से पोषित खतरा है। जब तक इस नेटवर्क को पूरी तरह से उजागर कर खत्म नहीं किया जाता, तब तक यह समस्या जड़ से समाप्त नहीं होगी।
शाह ने अपने संबोधन में कहा कि नक्सलवाद की जड़ें 1960 के दशक से हैं और यह 2004 में चरम पर तब पहुंचा जब विभिन्न वामपंथी गुट मिलकर सीपीआई (माओवादी) का गठन हुआ। उस वक्त देश का लगभग 17 प्रतिशत भूभाग ‘रेड कॉरिडोर’ में आता था और करीब 12 करोड़ लोग इस हिंसा से प्रभावित थे। लेकिन अब मोदी सरकार की नीतियों के चलते यह भूभाग घटकर बहुत सीमित रह गया है। 2014 में जहां 126 जिले नक्सल प्रभावित थे, वहीं अब केवल 18 जिले ही बचे हैं। सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या 35 से घटकर अब सिर्फ 6 रह गई है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले सरकारें बिखरी हुई रणनीति से नक्सलवाद का मुकाबला करती थीं, जिसमें कभी बातचीत, कभी सुरक्षा और कभी विकास को प्राथमिकता दी जाती थी। लेकिन मोदी सरकार ने 2014 के बाद एक स्पष्ट और ठोस नीति बनाई जिसमें संवाद, सुरक्षा और समन्वय तीनों पर एक साथ काम हुआ। शाह ने दावा किया कि आज देश में नक्सलियों की कमर टूट चुकी है और उन्होंने आत्मसमर्पण की राह पकड़ ली है। आंकड़ों के मुताबिक, 2024 और 2025 में अब तक कुल 560 नक्सली मारे गए हैं, जबकि 1770 से अधिक ने आत्मसमर्पण किया और करीब 1700 गिरफ्तार किए गए हैं।
शाह ने छत्तीसगढ़ का विशेष तौर पर ज़िक्र किया, जहां 2024 में भाजपा सरकार के गठन के बाद नक्सल विरोधी अभियानों में जबरदस्त तेजी आई। उन्होंने बताया कि सिर्फ एक साल में 290 नक्सली मारे गए, जबकि 1090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य में विपक्ष की सरकार थी, तब तक इन अभियानों में अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा था।
तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर मई 2025 में चलाए गए ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अभियान था, जिसमें नक्सलियों के एक बड़े कैंप को ध्वस्त कर दिया गया। इस ऑपरेशन में 27 हार्डकोर नक्सली मारे गए और बड़ी मात्रा में हथियार, आईईडी बनाने की फैक्ट्री और दो साल का राशन भी नष्ट किया गया। इससे बचा-खुचा नक्सली ढांचा भी बुरी तरह चरमरा गया है।
शाह ने कहा कि सरकार की नीति स्पष्ट है – जो हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहता है, उसके लिए रेड कार्पेट है, लेकिन जो निर्दोष आदिवासियों पर गोली चलाएगा, उसे जवाब भी गोली से ही मिलेगा। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि तथाकथित बुद्धिजीवी केवल नक्सलियों की ‘पीड़ा’ पर लेख लिखते हैं, जबकि वे निर्दोष आदिवासियों की हत्या पर मौन रहते हैं। उन्होंने पूछा कि क्या यह संवेदना चुनिंदा नहीं है?
गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहली बार बिना किसी भ्रम के नक्सल समस्या से निपटने की नीति बनाई है। राज्यों और केंद्र के बीच बेहतर समन्वय, इंटेलिजेंस साझा करने, संयुक्त अभियान, बेहतर ट्रेनिंग, अत्याधुनिक तकनीक और फोरेंसिक एनालिसिस के ज़रिए नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ने में सफलता मिली है। ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन डबल बुल और अब ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट जैसे टारगेटेड अभियानों से बड़ी उपलब्धियां मिली हैं। डीआरजी, एसटीएफ, सीआरपीएफ और कोबरा बलों को एक साथ प्रशिक्षण और संचालन के लिए तैयार किया गया है, जिससे अभियान पहले से कहीं ज़्यादा प्रभावी और सटीक हुए हैं।
उन्होंने बताया कि 2019 के बाद से केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित राज्यों की क्षमता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है। SRE और SIS योजनाओं के तहत 3331 करोड़ रुपये जारी किए गए, जो कि पूर्व की तुलना में 155 प्रतिशत अधिक है। इसके तहत 336 नए CAPF कैंप, 555 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन और 68 नाइट लैंडिंग हैलीपैड बनाए गए हैं। सुरक्षा बलों के लिए भौगोलिक दूरी के साथ-साथ ‘भय की दूरी’ को भी खत्म करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
शाह ने बताया कि 2014 के बाद सरकार ने नक्सलियों की आय के स्रोतों पर भी सख्ती से कार्रवाई की। **एनआईए और ईडी के जरिए करोड़ों रुपये की संपत्तियों को जब्त किया गया**, जिससे उनके शहरी नेटवर्क और वित्तीय सहायता को कमजोर किया जा सका। उन्होंने बताया कि सिर्फ 2024 में मारे गए नक्सलियों में 1 जोनल कमिटी मेंबर, 5 सबजोनल कमिटी मेंबर, 2 स्टेट कमिटी मेंबर, 31 डिविजनल कमिटी मेंबर और 59 एरिया कमिटी मेंबर शामिल थे।
अंत में उन्होंने जोर देकर कहा कि मोदी सरकार की प्रतिबद्धता सिर्फ नक्सलवाद के खात्मे तक सीमित नहीं है, बल्कि आदिवासी समाज को विकास की मुख्यधारा में लाना और उन्हें भयमुक्त जीवन देना भी प्राथमिकता है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए लुभावने पुनर्वास पैकेज और रोजगार के अवसर सुनिश्चित किए जा रहे हैं। गृह मंत्री के अनुसार, आने वाले महीनों में आत्मसमर्पण की संख्या और भी बढ़ेगी और 2026 तक भारत पूरी तरह नक्सल मुक्त हो जाएगा