विक्रम लैंडर ने उड़ाई थी 2 टन धूल:चंद्रमा पर इस धूल से चमकदार आभामंडल बना, फिर यह 108 वर्ग मीटर में फैल गया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार 27 अक्टूबर को बताया कि चंद्रयान से विक्रम लैंडर जब चांद की सतह पर उतरा, तो उसने करीब 2.06 टन लूनर एपिरेगोलिथ यानी चंद्रमा की धूल को उड़ाया था। इससे वहां एक शानदार इजेक्टा हेलो यानी चमकदार आभामंडल बन गया। लैंडिंग पॉइंट (शिव शक्ति बिंदु) पर उठा यह धूल का गुबार करीब 108.4 वर्ग मीटर के हिस्से में फैल गया था।
इसरो ने X (पहले ट्विटर) पर एक डॉक्यूमेंट शेयर किया है, जिसमें कहा है कि साइंटिस्ट ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई-रेजॉल्यूशन कैमरे से लैंडिंग के पहले और बाद की हाई-रिजॉल्यूशन पंचक्रोमैटिक इमेजरी की तुलना की। जिसमें यह इजेक्टा हेलो लैंडर के चारों ओर एक चमकीले पैच के रूप में दिखा।
भारत के चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चंद्रमा पर भेजा गया विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था। इसके बाद रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा के सतह पर तापमान, खनिज से जुड़ी जानकारियां भेजी थीं।
चंद्रयान-3 से मिलीं ये जानकारियां…
- ILSA पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप रिकॉर्ड किया: 31 अगस्त को ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे इंस्ट्रूमेंट ऑफ लूनर सीस्मिक एक्टिविटी (ILSA) पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप की प्राकृतिक घटना को रिकॉर्ड किया है। ये भूकंप 26 अगस्त काे आया था। इसरो ने बताया कि भूकंप के सोर्स की जांच जारी है