केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों की खरीदी के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम को अनिवार्य किया है। इसके तहत छत्तीसगढ़ में भी धान खरीदी बायोमेट्रिक सिस्टम से होगी और धान बेचने वाले किसानों को अंगूठा लगाना होगा। केंद्र सरकार के इस निर्देश पर छत्तीसगढ़ सरकार ने पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ में बायोमेट्रिक सिस्टम को लागू न किया जाए । राज्य के विषम भौगोलिक स्थिति के चलते सुदूर एवं दुर्गम अंचलों के किसानों को बायोमेट्रिक व्यवस्था नहीं होने से किसानों को परेशानी होगी।
छत्तीसगढ़ शासन के खाद्य विभाग के सचिव टोपेश्वर वर्मा ने भारत सरकार के खाद्य सचिव को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ प्रदेश में बायोमेट्रिक आधारित खरीफ प्रणाली को लागू करने के कारण किसानों को होने वाली कठिनाईयों का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा है कि राज्य के बस्तर एवं सरगुजा क्षेत्र के दूरस्थ एवं पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण इस इलाके के कई स्थानों पर इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा की कमी के चलते बायोमेट्रिक आधारित खाद्यान्न उपार्जन प्रणाली को लागू करने में दिक्कत होगी।
खाद्य सचिव ने लिखा है छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीदी के पूर्व किसानों का पंजीयन किया जाता है। पंजीयन में किसान का आधार नंबर भी होता है। किसानों की भूमि के रकबे का सत्यापन भी ‘भुईयां’ सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाता है। धान खरीदी के एवज में राशि का ऑनलाईन भुगतान किसानों के बैंक खातों में होता है। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी और देश में सर्वश्रेष्ठ है।