साय कैबिनेट में हो सकते हैं 5 से ज्यादा आदिवासी:क्षेत्रीय-जातीय समीकरण साधने के लिए 2 डिप्टी CM; बढ़ सकती है महिला मंत्रियों की संख्या
छत्तीसगढ़ में नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शपथ ले ली है। उनके साथ ही प्रदेश में 2 डिप्टी सीएम होंगे। अरुण साव और विजय शर्मा ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ली है। जातिगत समीकरण को देखें तो आदिवासी, ओबीसी, सामान्य और एसटी वर्ग के अलावा अल्पसंख्यक वर्ग से मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। इस बार 1 से ज्यादा महिला मंत्रियों की संख्या हो सकती है।
छत्तीसगढ़ कैबिनेट में 13 सदस्यों का मंत्रिमंडल होता है। CM साय के अलावा 2 उप मुख्यमंत्री ने शपथ ले ली है। यानी अब कैबिनेट में 10 और सदस्यों की ही जगह है। संवैधानिक नियमों के मुताबिक, किसी भी कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या सीमित होती है। कुल सदस्यों (विधायक) की संख्या के 15 फीसदी ही मंत्री बन सकते हैं। ये नियम सभी राज्यों की विधानसभा में लागू होता है।
अब तक 13 सदस्यों का ही रहा है मंत्रिमंडल
छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीट हैं। इस संख्या को 15 से गुणा करें और फिर 100 से भाग देने पर आंकड़ा 13.5 का आता है। छत्तीसगढ़ में अब तक रही सरकारों में दशमल के आंकड़े को छोड़कर 13 मंत्रियों की संख्या को 15 फीसदी माना जाता है। इसलिए छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत कुल 13 मंत्री होंगे।
क्षेत्रवार इस तरह बन सकता है समीकरण
रायपुर संभाग से 2 मंत्री, इनमें 1 सामान्य, 1 अल्पसंख्यक और 1 ओबीसी
रायपुर संभाग में कुल 19 सीटें है। इनमें 12 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। उनमें मंत्री बनने के लिए प्रबल रूप से 3 दावेदार शामिल हैं, जिनमें पूर्व मंत्री ब़ृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत और अजय चंद्राकर का नाम है।
- बृजमोहन अग्रवाल 8वीं बार जीते हैं। रमन सरकार में 15 सालों तक मंत्री रहे। अग्रवाल समाज का जातिगत समीकरण साधने और पूर्व अनुभवों के आधार पर मंत्री बनाया जा सकता है।
- राजेश मूणत 2003 में पहली बार विधायक बने। फिर 2008, 2013 और लगातार मंत्री रहे। 2018 में विकास उपाध्याय से हार गए, लेकिन 2023 में फिर जीते। अल्पसंख्यक समुदाय (जैन) से आने वाले मूणत फिर मंत्री बनाए जा सकते हैं।
- तेज-तर्रार छवि वाले अजय चंद्राकर 1998 में पहली बार विधायक चुने गए। उसके बाद 2003 में जीते। हालांकि 2008 में हार का सामना करना पड़ा। फिर से 2013, 2018 और 2023 में 5वीं बार चुने गए और मंत्री रहे। चंद्राकर ओबीसी (कुर्मी) वर्ग से आते हैं।
पिछली सरकार में रायपुर संभाग से केवल 1 मंत्री
भूपेश सरकार में रायपुर संभाग से केवल शिव डहरिया ही मंत्री थे। 2018 में शिव डहरिया ने बीजेपी के संजय ढीढी को हराया और मंत्री बने। उन्हें नगरीय प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी। डहरिया अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं।
बिलासपुर संभाग से 3 मंत्री और 1 डिप्टी CM, इनमें 1 सामान्य और 3 ओबीसी
बिलासपुर संभाग की 25 सीटों में 10 सीटों पर भाजपा जीती, 14 में कांग्रेस और 1 सीट गोंगपा को जीत मिली। भाजपा सरकार में अरुण साव को डिप्टी सीएम, अमर अग्रवाल, और धरमलाल कौशिक और ओपी चौधरी को मंत्री बनाया जा सकता है।
- प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। साव पहली बार 2019 का लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने थे। उन्होंने छात्र जीवन से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। वे एबीवीपी से जुड़े थे।चुनाव में पार्टी ने उन्हें लोरमी सीट से लड़ाया और साव जीतकर आए।
- अमर अग्रवाल बिलासपुर में बीजेपी के पितृ पुरुष कहे जाने वाले दिवंगत नेता लखीराम अग्रवाल के बेटे हैं। 1998 में पहली बार विधायक चुने गए। उसके बाद 2003, 2008 और 2013 में भी विधायक निर्वाचित हुए। 2003, 2008 और 2013 में मंत्री रहे। 2018 में कांग्रेस के शैलेष पांडेय से हार गए।
- धरमलाल कौशिक 1998 में पहली बार बिल्हा से विधायक चुने गए। 2008, 2018, 2023 में चौथी बार विधायक बने। 2006 से 2008 तक पार्टी के प्रदेश महामंत्री रहे। 2009 में विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए। 2014 में प्रदेश अध्यक्ष बने। 2019 से 21 तक नेता प्रतिपक्ष रहे। राज्य बनने के बाद कौशिक कभी भी मंत्री पद पर नहीं रहे हैं।
- IAS की नौकरी छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले ओपी चौधरी साल 2018 में पहला चुनाव हार गए। 2018 में हार के बाद बीजेपी के बड़े नेता खामोश रहे, लेकिन कांग्रेस सरकार के खिलाफ ओपी चौधरी मुखर रहे। उनकी सक्रियता के चलते पार्टी ने महामंत्री बना दिया। इस चुनाव में ओपी चौधरी ने रायगढ़ विधानसभा से जीत दर्ज की।
पिछली सरकार में बिलासपुर संभाग से 2 मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष
कांग्रेस सरकार में बिलासपुर संभाग से 2 मंत्री थे। खरसिया विधायक उमेश पटेल को उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण विभाग दिया गया। कोरबा विधायक जयसिंह अग्रवाल को राजस्व विभाग मिला था। वहीं सक्ति विधायक चरणदास महंत को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था।