छत्तीसगढ़

आदिवासी आवासीय विद्यालय में गहराया पानी का संकट, निस्तारी के लिए चारदीवारी पार कर नहर से पानी लाने की मजबूरी…

महासमुंद। अभी गर्मी का मौसम शुरु ही नहीं हुआ और पानी की किल्लत के मामले सामने आने लगे. जी हां, महासमुंद जिले के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के बच्चे इन दिनों पानी की किल्लत से परेशान हैं. पानी की जो व्यवस्था की गई है, वह अपर्याप्त है, लिहाजा बच्चों को रोजाना की जरूरत के लिए विद्यालय की चार दीवारी से बाहर जाकर नहर से पानी लाना पड़ता है. ऐसे में बच्चों का पढ़ाई की बजाए ज्यादातर समय पानी लाने में लग रहा है

महासमुंद जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्थित है. विद्यालय में 210 आदिवासी बालिकाएं और 207 बालक मिलाकर कुल 417 बच्चे अध्ययनरत हैं. आदिवासी बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बनाए गए विद्यालय में शुरुआती दिनों से ही समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.

विद्यालय में शुरुआती दिनों से पीने के पानी की समस्या सबसे बड़ी है, जो चार दिन पहले विद्यालय के बोर खराब होने की वजह से विकराल हो गई है. अब स्थिति यह है कि आदिवासी बच्चों को विद्यालय के परिसर से पास से गुजरने वाले नहर से पानी लाकर निस्तारी करना पड़ रहा है.

पानी के अलावा बच्चों को और भी समस्याओं का समना करना पड़ रहा है. वॉशरूम उपयोग करने लायक नहीं है. सेप्टिक की गंदगी से निकलने वाली दुर्गंध बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है. दो वॉशरूम में से एक ही वॉशरूम उपयोग किया जा रहा है. दूसरे वॉशरूम में ताला लगा दिया गया है. यहां तक की दीवारों से प्लास्टर नीचे गिर रहे है. खिड़की- दरवाजे टूटे हैं.

 

गौरतलब है कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय भोरिंग का भवन 23 जून 2022 को हैण्ड ओवर किया गया था. अब सवाल यह है कि एक साल से अधिक का समय बीतने के बावजूद क्यों आदिवासी विभाग आज तक इन समस्याओं का समाधान नहीं निकाल पाया. यह विभाग के कार्य प्रणाली पर एक बड़ा सवालिया निशान है.

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