“गौशाला की गोद में भावुक हुए डॉ. राकेश मिश्रा, कहा – ‘मां का आशीर्वाद और श्रीगौमाता का स्नेह एक समान’”

दिल्ली की एक गौशाला में हाल ही में उनके आगमन के दौरान एक ऐसा भावनात्मक क्षण देखने को मिला, जब श्रीगौमाता के वात्सल्य-स्पर्श से अभिभूत होकर डॉ. मिश्रा की आंखें नम हो गईं। गायों के बीच समय बिताते हुए वे इतने भावुक हो उठे कि उन्होंने कहा – “गौमाता ने मुझे जिस आत्मीयता से अपनाया, वह अनुभव किसी मां के आशीर्वाद से कम नहीं।”
डॉ. मिश्रा का श्रीगौमाता के प्रति प्रेम केवल धार्मिक श्रद्धा तक सीमित नहीं, बल्कि एक गहरी आत्मीयता का भाव लिए हुए है। उनका मानना है कि श्रीगौसेवा से न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह करुणा, सेवा और मानवता के मूल्यों को भी जीवित रखने का मार्ग है। उन्होंने कहा – “दिल्ली की यह गौशाला अब मेरे जीवन की अमिट स्मृति और आत्मिक थाती बन गई है। यहां बिताया हर क्षण मेरे लिए साधना जैसा अनुभव रहा।”
गौशाला में मौजूद लोगों ने भी डॉ. मिश्रा की भावनाओं को नजदीक से देखा और महसूस किया। उनके इस भावनात्मक जुड़ाव ने न सिर्फ वहां उपस्थित जनसमूह को प्रभावित किया, बल्कि समाज को भी श्रीगौसेवा और संवेदनशीलता की ओर प्रेरित करने का कार्य किया।
डॉ. मिश्रा की यह यात्रा एक बार फिर यह साक्षात कराती है कि यदि सेवा भाव सच्चे हृदय से किया जाए, तो वह हर जीव के साथ आत्मिक संवाद की ओर ले जाती है – जहां शब्द नहीं, भाव बोलते हैं।