रायपुर, 5 जून 2025 विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजधानी रायपुर के अमलेश्वर स्थित “जंगल शहर” में राष्ट्रीय पर्यावरण एवं खनिज संरक्षण मंच द्वारा आयोजित विराट वृक्षारोपण कार्यक्रम में हरियाली की एक नई अलख जगी। नरेंद्र मोदी विचार मंच के अनुशांगिक संगठन के इस भव्य आयोजन में 1000 पौधों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दोहराया गया।
“एक पौधा – एक जीवन” के मूल मंत्र के साथ सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक चले इस कार्यक्रम में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सहभागिता निभाई। आयोजन स्थल ‘महादेव घाट के आगे, महादेव वाटिका के पीछे स्थित जंगल शहर’ में प्लास्टिक मुक्त और अनुशासित वातावरण ने आयोजन को विशेष बना दिया।कार्यक्रम की शुरुआत पौधों की पूजा एवं पर्यावरण मंत्रोच्चार के साथ हुई। इसके पश्चात वृक्षारोपण कार्य प्रारंभ हुआ, जिसमें छोटे बच्चों, महिलाओं से लेकर वरिष्ठजन तक ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।मंच के पदाधिकारियों के वक्तव्यों में झलका पर्यावरण संरक्षण का संकल्प
कार्यक्रम में मंच के राष्ट्रीय, प्रादेशिक व स्थानीय पदाधिकारीगण मौजूद रहे। सभी वक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण को न केवल एक कार्यक्रम, बल्कि जीवन दर्शन और राष्ट्रधर्म बताया।
राम दयाल उइके, पूर्व विधायक एवं राष्ट्रीय सलाहकार ने कहा—
> “वृक्षारोपण केवल पौधे लगाने का कार्य नहीं, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा भविष्य सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है। यह मंच इस दिशा में सच्ची प्रेरणा बन रहा है।”
डॉ.राकेश मिश्रा,राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने उद्बोधन में कहा—
माननीय प्रधानमंत्री की जो योजना है’एक पेड़ मां के नाम’, वह केवल एक पर्यावरणीय पहल नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है। एक मां ने हमें जन्म दिया, और दूसरी मां – धरती मां – ने हमें पाल-पोसकर बड़ा किया, अपनी गोद में खिलाया। ऐसी मां को हरा-भरा रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। यह वृक्षारोपण केवल पौधों का नहीं, विचारों का भी रोपण है, जो भावी पीढ़ियों के लिए एक हरित विरासत छोड़ने का संकल्प है।”
राजकुमार शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने इसे “सतत साधना” की संज्ञा देते हुए कहा—
> “यह कार्य केवल आज के लिए नहीं, बल्कि भविष्य की रक्षा के लिए है। पर्यावरण बचाने की इस मुहिम को निरंतर जारी रखना ही सच्चा योगदान है।”
राष्ट्रीय महामंत्री अमरनाथ सोनी और डोमार साहू ने संयुक्त रूप से संकल्प दोहराया— “देश के हर जिले में इसी तरह का वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा। संगठित प्रयासों से ही बड़ा परिवर्तन संभव है।”
डॉ. लक्ष्मीनारायण आमेटा, राष्ट्रीय पर्यावरण एवं खनिज संरक्षण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा— “आज जो पौधे रोपे गए, वे कल छांव, फल और जीवन देंगे। हमने हरियाली की एक क्रांति की नींव रखी है।
”प्रकाश शर्मा, राष्ट्रीय सचिव ने इसे “भविष्य के लिए सुरक्षा कवच” बताया और कहा “हर पौधा सिर्फ हरियाली नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की साँसों की गारंटी है।
”एच.डी. महंत, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी ने बताया— “हर कार्यकर्ता को 5 पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन अधिकांश ने इससे अधिक लगाए। यही हमारी प्रेरणा है। हम इस मुहिम को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाएंगे।”
नीरज पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष ने इसे “जन आंदोलन” में बदलने का संकल्प लिया और कहा—
“छत्तीसगढ़ को पर्यावरणीय दृष्टि से जागरूक और हरित राज्य बनाना हमारा लक्ष्य है।”
के. के. वर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष ने जानकारी दी—
“यह तो केवल शुरुआत है। अब हर गांव तक वृक्षारोपण की लहर पहुँचाई जाएगी।”
एस.पी. साहू, गौ सेवक ने प्रकृति और जीव-जंतुओं के संतुलन की बात उठाई
“वृक्ष और गौ सेवा दोनों धरती की आराधना हैं। आज का आयोजन इसी समन्वय का प्रतीक है।”
सोशल मीडिया पर वायरल हुईं आयोजन की तस्वीरें
सैकड़ों लोगों ने वृक्षारोपण करते हुए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं, जिससे जागरूकता का संदेश तेजी से फैला। आयोजन स्थल को सजाया नहीं गया, बल्कि उसे स्वाभाविक और जैविक रखा गया।
कार्यक्रम की खास बातें:कार्यक्रम की विशेष बात यह भी रही कि वृक्षारोपण के लिए केवल छायादार या सजावटी पौधों पर निर्भर नहीं रहा गया, बल्कि स्थानीय जलवायु के अनुकूल 7 प्रकार के फलदार पौधों का चयन कर उन्हें प्राथमिकता दी गई। इनमें आम, अमरूद, जामुन, नींबू, आंवला, कटहल और बेल जैसे पौधे शामिल थे।इन फलदार पौधों का चयन इस सोच के साथ किया गया कि आने वाले वर्षों में ये न केवल पर्यावरण को हराभरा बनाएंगे, बल्कि स्थानीय समुदायों को पोषण और आय का स्रोत भी प्रदान कर सकेंगे।हर कार्यकर्ता को पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी इससे वृक्षारोपण को केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि व्यावहारिक और सतत विकास से जोड़ने का प्रयास किया गया।
हरियाली ही हमारी विरासत है “पेड़ लगाना सिर्फ एक कर्तव्य नहीं, भावी पीढ़ियों के लिए दिया गया सबसे अमूल्य उपहार है। हर पौधा, हर डाल, हर पत्ता – जीवन का वादा है। आइए, मिलकर इस धरती को फिर से सांस लेने लायक बनाएं। यही सच्ची सेवा है, यही स्थायी क्रांति है।”
यह आयोजन न केवल वृक्षारोपण की एक पहल थी, बल्कि एक वैचारिक क्रांति की नींव भी। आने वाले वर्षों में इसी भावना से देशभर में हरियाली की चादर बिछे, यही इस अभियान की सफलता होगी।