मरवाही में दिखे सफेद भालू के 2 शावक:मादा भालू की पीठ पर दोनों को देख राहगीर ने बनाया वीडियो; वन विभाग तलाश में जुटा
लेकर चलती हुई दिखाई दी, जिसे वहां से गुजर रहे एक राहगीर ने कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया।
गौरेला के रहने वाले अभिषेक राजपूत ने बताया कि वे अपने दोस्तों के साथ लौट रहे थे, तभी डोंगरिया गांव में स्थित एकलव्य स्कूल के पास मादा भालू शावकों के साथ नजर आई। कुछ दूर आगे जाने के बाद भालू शावकों के साथ जंगल में चली गई।
अभिषेक ने इसका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। डीएफओ शशि कुमार ने कहा कि वीडियो सामने आने के बाद भालू और दोनों शावकों का पता लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये सफेद भालू वे नहीं हैं, जो बर्फीली जगहों पर पाए जाते हैं। ये वो बीयर हैं, जिनके स्किन का कलर चेंज हो जाता है।
मरवाही की भालू लैंड के नाम से पहचान
जिले के माड़ाकोट, गंगनई, सेमरदर्री, चिल्हान नाका, करहनिया, लोहारी मरवाही के जंगलों में काफी संख्या में भालू पाए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, मरवाही वनमंडल में करीब 500 भालू हैं। इन्हीं में से कुछ सफेद रंग के भालू भी हैं।
1987, 1992, 1999, 2008 और 2020 में भी सफेद भालू इन इलाकों में देखे गए थे। ये इलाके भालुओं का प्राकृतिक रहवास है। इस इलाके में महुआ, जामुन, तेंदू और शहद होने के कारण यहां रहना भालुओं को पसंद है। मरवाही वन मंडल के एक सफेद भालू को बिलासपुर के कानन पेंडारी चिड़ियाघर में भी रखा गया है।
इन सफेद भालुओं के रंग की वजह मेलानिन की कमी
दरअसल सफेद भालू मुख्य रूप से ध्रुवीय क्षेत्रों में रहते हैं। भारत में अधिकतर काले भालू ही पाए जाते हैं। मरवाही वनमंडल में पाए जाने वाले सफेद भालुओं को एलबिनो कहा जाता है। ऐल्बिनिज़म उन कोशिकाओं का परिणाम है, जो मेलानिन का उत्पादन नहीं कर सकते। इससे त्वचा, आंखों और बालों का रंग सफेद हो जाता है। जब ऐल्बिनिज़म मौजूद होता है, तो जानवर सफेद या गुलाबी दिखाई दे सकता है।
एक जानवर पूरी तरह से एल्बिनो (शुद्ध एल्बिनो) हो सकता है या ल्यूसिज्म हो सकता है। शुद्ध एल्बिनो जानवरों की आंखें, नाखून, त्वचा या शल्क गुलाबी होंगे। गुलाबी रंग त्वचा के माध्यम से दिखने वाली रक्त वाहिकाओं यानी ब्लड वेसेल्स से आता है। ल्यूसिज्म वाले जानवरों में ज्यादातर विशिष्ट लेकिन हल्के रंग के पैटर्न हो सकते हैं।