रायपुर नगर निगम के 1100 जन शिकायत निवारण कॉल सेंटर की असफलता ने शहरवासियों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है। खासकर कमल विहार क्षेत्र में नालियों और सड़कों की साफ-सफाई के अभाव में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 15 दिनों से अधिक समय बीत जाने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है, जबकि अधिकारी मौन साधे बैठे हैं।
कमल विहार के निवासियों ने शिकायतों की बाढ़ ला दी है, लेकिन उनके अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। आरडीए (रायपुर विकास प्राधिकरण) के अधिकारी और जोन 10 के कमिश्नर की उदासीनता ने सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे जिलाधीश के निर्देशों की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठते हैं।
कमल विहार कीचड़ विहार में तब्दील
आरडीए के अधिकारियों और इंजीनियरों की लापरवाही के कारण कमल विहार अब ‘कीचड़ विहार’ बन गया है। यहां के निवासी लगातार शिकायतें कर रहे हैं लेकिन किसी ने भी समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाया। डूंडा रायपुर कमल विहार सेक्टर 10 C 26 से लेकर 28 तक की सड़कें पानी और कीचड़ से भरी हुई हैं, जिससे आवाजाही में भारी दिक्कत हो रही है।
समस्याओं का समाधान कब?
नगर निगम के अधिकारियों की निष्क्रियता और जवाबदेही की कमी ने नागरिकों में असंतोष फैला दिया है। भाजपा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना कमल विहार को इस स्थिति में पहुंचाने के लिए आरडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अब देखना होगा कि सरकार और संबंधित विभाग कब तक इन समस्याओं का समाधान करते हैं।
रायपुर नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को चेतना चाहिए कि उनकी जिम्मेदारी जनता की सेवा करना है, न कि उनकी समस्याओं को अनदेखा करना। यह स्थिति नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।