छत्तीसगढ़बिलासपुर

शहर के समाजसेवी ने की रिक्शे वाले की मदद

सुरेश सिंह बैस

बिलासपुर। शास्त्रों में भी कहा गया है कि अगर आप किसी को एक वक्त का भोजन कराते हैं तो उसकी कुछ देर की ही भूख मिट सकती है, लेकिन अगर उसे योग्य बनाकर उसे रोजगार का साधन उपलब्ध कराते हैं तो इससे वह आत्मनिर्भर होकर पूरे सम्मान के साथ अपना भरण पोषण कर सकता है। ऐसे ही स्वाभिमानी और योग्य व्यक्ति की मदद नगर के कुछ नेक दिल इंसानों ने की। विदित हो मंगला बस्ती में छोटी से झोपड़ी में बुजुर्ग रिक्शा चालक माधव दास रहता है। उसके खुद की तरह उसकी रिक्शा भी पूरी तरह जर्जर हो चुकी थी। इसी जर्जर रिक्शा से वह किसी तरह दो लोगों के भरण पोषण का प्रयास कर रहा था। असल में उसकी रिक्शा इस कदर जर्जर हो चुकी थी कि उस पर आसानी से कोई भी बैठने को ही तैयार नहीं होता। अगर कोई सवारी मिल भी जाती, तो उसे दूर तक ले जाना संभव नहीं था। लेकिन पास में इतने पैसे भी नहीं थे कि इस टूटे फूटे रिक्शा की मरम्मत कर सके। किसी तरह माधव दास इसी रिक्शा से जिंदगी की गाड़ी खींच रहा था कि अचानक एक दिन ईश्वर ने भी उसकी सुध ले ली।कहते हैं ईश्वर स्वयं मदद को नहीं आते बल्कि किसी को माध्यम बनाकर अपना काम करते हैं। ऐसे ही माध्यम बने एनएमए नगर में निरोग धाम का
संचालन करने वाले डॉ सर्वेश शर्मा। उन्होंने माधव दास की इस जर्जर हालत को देखकर उसकी मदद करने की ठानी ।मदद करने से पहले उन्होंने
माधव दास की परीक्षा भी ली। उसने कहा कि वह उन्हें गोल बाजार तक छोड़ दे। माधव दास ने हाथ जोड़ के अपने बारे और जर्जर रिक्शे के बारे में बताया कि उसकी जर्जर रिक्शा इतनी दूर तक नहीं जा सकेगी । कहते हैं‌दान हमेशा योग व्यक्ति को मिलना चाहिए,। सो उसकी योग्यता की जांच करने के
लिए डॉक्टर सर्वेश शर्मा ने माधव को मुफ्त में शराब का भी ऑफर दिया तो माधव दास ने नीचे हाथ जोड़कर मना दिया। जिससे उन्हें समझ में आ गया कि माधव दास उपयुक्त भी है और प्रिय भी। असल में डॉक्टर सर्वेश के प्रिय मित्र करण गोयल का जन्मदिन 28 फरवरी को था, इसलिए विचार किया
गया कि इसी खास मौके पर नेक काम किया जाए। इसके तहत
नागार्जुन माधव दास के रिक्शे को सुधार कर नया बनाने की पहलकी गई। क्योंकि इसके पहले
पुराने और जर्जर रिक्शे की वजह से माधव दास खुद किसी तरह से
जिंदगी की गाड़ी खींच रहे थे।डॉक्टर सर्वेश शर्मा ने मंगला स्क्वायर में सत्या साइकिल रिक्शा स्टोर में उसकी पुरानी रिक्शा को सुधार कर नया बनाने के लिए दिया, जिस पर करीब साढ़े आठ हजार रुपये खर्च हो गए,। इससे उसकी रिक्शा बिल्कुल नई हो गई। जाहिर है इससे अब माधव दास की मुश्किलें कम होंगी।गरीब क्रू चालक माधव दास की मदद करके डॉक्टर सर्वेश शर्मा भी अलौकिक आनंद का अनुभव कर रहे हैं। एक योग्य व्यक्ति को मदद मिलने पर वे काफी खुशी का अनुभव कर रहे हैं। जन्मदिन पर इस नेक कार्य का हिस्सा बनकर ऐसे ही नेक कार्य किया जा सकता है है। उन्हें लगता है कि बड़ी-बड़ी पार्टी, जलसे मे लाखों के खर्चे करने से भी ऐसा सुख नहीं मिलता, जैसा कि इस गरीब रिक्शा वाले की छोटी सी मदद कर अनुभव की जा रही है। वैसे तो यह एक छोटी सी मदद है लेकिन यह मदद माधव दास के लिए बहुत बड़ी है, यह तो वही समझ सकता है, जैसे जब उनके पुराने पुराने और‌ जर्जर रिक्शे‌ को चमचमाती रिक्शा में बादल दिया गया तो उनकी आंखों में भी खुशी की चमक उभर आई। किसी के जन्मदिन पर अगर इस तरह से किसी के जीवन में प्रकाश डाला जा सकता है, तो इससे भी बेहतर और क्या हो सकता है। मौज मानने वाली जिंदगी से कहीं बेहतर है किसी भी जन्मदिन पर किसी व्यक्ति के अंधेरे में इस तरह से रोशनी करना।

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