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स्वच्छता जांच और शारीरिक कुशलता: स्वस्थ मन के लिए आवश्यक”

शंकर सेंद्रे/रायपुर/07 जुलाई 2024 विद्यालय की एक नयी पहल के तहत, जो छात्र इस स्वच्छता जांच में अच्छा प्रदर्शन करेंगे, उन्हें FA-1 की परीक्षा में प्रत्येक विषय में 1 अंक दिए जाएंगे।

आज दिनांक 07जुलाई 2024 को अडवानी ओर्लिकॉन शासकीय अंग्रेजी माध्यम उत्कृष्ट विद्यालय, बीरगांव जिला रायपुर (छत्तीसगढ़) में कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के सभी छात्रों की स्वच्छता संबंधित जांच की गई। इस जांच में बच्चों के ड्रेस, जूते-मोजे, बालों की कटिंग, नाखूनों की सफाई, दांतों की सफाई आदि की जांच की गई। इसका उद्देश्य छात्रों को अनुशासन के साथ-साथ स्वच्छता बनाए रखना सिखाना है।

हाइजिन अर्थात स्वच्छता, एक छोटा सा शब्द है, लेकिन इसका महत्व बहुत व्यापक है। पुराने दिनों में रसोई में खाना पकाने से पहले चूल्हे को गाय के गोबर से लिपाई कर, लकड़ी और कंडे की आग से बनाए गए भोजन को हाइजेनिक भोजन कहा जाता था। यह दिखाता है कि स्वच्छता का महत्व हमारे इतिहास में भी था।

आज की जांच में देखा गया कि लगभग सभी छात्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन स्वच्छता की गंभीरता को हम केवल विद्यालय तक सीमित न रखकर आपके घरों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:

1. विद्यार्थी जिस जगह बैठकर पढ़ता है, वह जगह साफ-सुथरी होनी चाहिए और कम से कम दो महीने में एक बार गैरजरूरी कागजों और न चलने वाले पेन आदि को हटाना चाहिए। यह सफाई कार्य स्कूल बैग के साथ भी करते हुए बीच-बीच में बैग को धोना चाहिए।

2. विद्यार्थी जिस बोतल का प्रयोग पानी पीने के लिए करता है, उसे गुनगुने पानी और नमक डालकर अच्छे से धोना चाहिए।

3. विद्यार्थियों को चाहिए कि उनके मोजे रोज धुले हों। इसके लिए उनके पास कम से कम 3 जोड़ी मोजे होने चाहिए।

4. टूथब्रश 4 या 6 महीने बाद बदल देना चाहिए। रात में सोने से पहले ब्रश करने की आदत बच्चों में होनी चाहिए। कभी-कभी दातून का भी प्रयोग कर मसूड़ों का मसाज करें। दांतों की समस्याओं से बचने के लिए इनकी सही देखभाल करना जरूरी है।

5. रसोई की साफ-सफाई बहुत महत्वपूर्ण है। जिस बर्तन में पानी भरा जाता है, उसे नियमित रूप से साफ करना चाहिए। फ्रिज की सफाई भी दो माह में एक बार अवश्य करनी चाहिए।

6. उपरोक्त बातों का ध्यान रखते हुए, हमारा विद्यालय एक छोटा सा प्रयास कर रहा है कि हम सब स्वच्छता के महत्व को समझें और अपने जीवन में पालन करें।

श्री मुकेश सिरमौर, प्राचार्य
श्री व्ही. एस. राजपूत, प्रभारी

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