छत्तीसगढ़

27 जुलाई एपीजे अब्दुल कलाम पुण्यतिथि- बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी डॉ एपीजे अब्दुल कलाम


सुरेश सिंह बैस शाश्वत/अब्दुल कलाम भारत के ग्यारहवें और पहले गैर राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति रहे हैं। उन्हें ये पद तकनीकी एवं विज्ञान में विशेष योगदान की वजह से मिला था. वे एक इंजिनियर व् वैज्ञानिक थे, कलाम जी 2002-07 तक भारत के राष्ट्रपति रहे।‌ राष्ट्रपति बनने के बाद कलाम जी सभी देशवासियों की नजर में बहुत सम्मानित और निपुण व्यक्ति रहे । कलाम जी ने लगभग चार दशकों तक वैज्ञानिक के रूप में काम किया है, वे बहुत से प्रतिष्ठित संगठन के व्यवस्थापक भी रहे है।

इनका पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीनअब्दुल कलाम था। डॉ कलाम को किताबें पढ़ने, लिखने, वीणा वादन का बहुत शौक था ।कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोडी गांव, रामेश्वरम, तमिलनाडु में मछुआरे परिवार में हुआ था, वे तमिल मुसलमान थे। इनका पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था। वे एक मध्यम वर्गीय परिवार के थे। इनके पिता अपनी नाव मछुआरों को देकर घर चलाते थे. बालक कलाम को भी अपनी शिक्षा के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था। वे घर घर अख़बार बांटते और उन पैसों से अपने स्कूल की फीस भरते थे. अब्दुल कलामजी ने अपने पिता से अनुशासन, ईमानदारी एवं उदार स्वभाव में रहना सिखा था। इनकी माता जी ईश्वर में असीम श्रद्धा रखने वाली थी. कलाम जी के तीन बड़े भाई व् एक बड़ी बहन थी। वे उन सभी से बहुत करीब रिश्ता रखते थे। अब्दुल कलाम जी की आरंभिक शिक्षा रामेश्वरम एलेमेंट्री स्कूल से हुई थी. 1950 में कलाम जी ने बी एस सी की परीक्षा सेंट जोसेफ कॉलेज से पूरी की। इसके बाद 1954-57 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से एरोनिटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। बचपन में उनका सपना फाइटर पायलेट बनने का था, लेकिन समय के साथ ये सपना बदल गया.1958 में कलाम जी डीटीडी एण्ड पी. में तकनीकी केंद्र में वरिष्ट वैज्ञानिक के रूप कार्य करने लगे। यहाँ रहते हुए ही इन्होंने प्रोटोटाइप होवर क्राफ्ट के लिए तैयार वैज्ञानिक टीम का नेतृत्व किया।. करियर की शुरुवात में ही अब्दुल कलामजी ने इंडियन आर्मी के लिए एक स्माल हेलीकाप्टर डिजाईन किया। 1962 में अब्दुल कलामजी रक्षा अनुसन्धान को छोड़ भारत के अन्तरिक्ष अनुसन्धान केन्द्र में कार्य करने लगे। 1962 से 82 के बीच वे इस अनुसन्धान से जुड़े कई पदों पर कार्यरत रहे। 1969 में कलाम जी ईसरो में भारत के पहले एसएलवी 3 (रोहिणी) के समय प्रोजेक्ट हेड बने।. अब्दुल कलाम जी के नेतृत्व में 1980 में रोहिणी को सफलतापूर्वक पृथ्वी के निकट स्थापित कर दिया गया। इनके इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए 1981 में भारत सरकार द्वारा इनको भारत के राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक पदम् भूषण से सम्मानित किया गया।
अब्दुल कलाम जी हमेशा अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता को देते थे उनका कहना था उनकी माता ने ही उन्हें अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा दी। वे कहते थे “पढाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी माँ ने मेरे लिये छोटा सा लैम्प खरीदा था, जिससे मैं रात को 11 बजे तक पढ सकता था। माँ ने अगर साथ न दिया होता, तो मैं यहां तक न पहुचता । ”
1982 में वे फिर से रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन के निदेशक बन गए। इनके नेतृत्व में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम को सफलतापूर्वक शुरू किया गया। अग्नि, प्रथ्वी व् आकाश के प्रक्षेपण में कलाम जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सन 1992 में अब्दुल कलामजी रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव बन गए. वे इस पद में 1999 तक कार्यरत रहे। भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिकों की लिस्ट में इनका नाम शामिल है. सन 1997 में एपीजे अब्दुल कलामजी को विज्ञान एवं भारतीय रक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत के सबसे बड़े सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
सन 2002 में कलाम जी को भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने राष्ट्रपति के चुनाव के समय अपना उम्मीदवार बनाया था, जिसका सबने समर्थन किया और 18 जुलाई 2002 को एपीजे अब्दुल कलामजी ने राष्ट्रपति पद की शपत ली।कलाम जी कभी भी राजनिति से नहीं जुड़े रहे, फिर भी वे भारत के सर्वोच्य राष्ट्रपति पद पर विराजमान रहे. जीवन में सुख सुविधा की कमी के बावजूद वे किस तरह राष्ट्रपति के पद तक पहुँचे, ये बात हम सभी के लिये प्रेरणास्पद है. आज के बहुत से युवा एपीजे अब्दुल कलामजी को अपना आदर्श मानते है. छोटे से गाँव में जन्म ले कर इतनी ऊचाई तक पहुचना कोई आसान बात नहीं. कैसे अपनी लगन, कङी मेहनत और कार्यप्रणाली के बल पर असफलताओं को झेलते हुए, वे आगे बढते गये इस बात से हमे जरुर कुछ सीखना चाहिए।एपीजे अब्दुल कलाम को बच्चों से बहुत अधिक स्नेह था. वे हमेशा अपने देश के युवाओं को अच्छी सीख देते रहे , उनका कहना था युवा चाहे तो पूरा देश बदल सकता है. देश के सभी लोग उन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम ने संबोधित करते है. डॉ एपीजे कलाम को भारतीय प्रक्षेपास्त्र में पितामह के रूप में भी जाना जाता है. कलाम जी भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो अविवाहित होने के साथ-साथ वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से राजनीति में आए है. राष्ट्रपति बनते ही एपीजे अब्दुल कलाम ने देश के एक नए युग की शुरुवात की है.राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद कलाम जी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम के चांसलर बन गए। साथ ही अन्ना यूनिवर्सिटी के एरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर बन गए। इसके अलावा उन्हें देश विदेश के बहुत से कॉलेजों में विसिटिंग प्रोफेसर के रूप में बुलाया जाता रहा।

सुरेश सिंह बैस शाश्वत

  • rammandir-ramlala

Related Articles

Back to top button