सुरेश सिंह वैस/बिलासपुर । मिशन हॉस्पिटल विवाद का आखिरकार पटाक्षेप हो गया। अस्पताल प्रबंधन ने जमीन प्रशासन के सुपुर्द कर दिया है, हालांकि इस दौरान प्रबंधन के डॉक्टर रमन जोगी ने बहुत ही इमोशनल पत्र लिखा है।1892 में मिशन अस्पताल निर्माण के लिए क्रिश्चियन वुमन बोर्ड आफ मिशन को यह जमीन लीज पर दी गई थी। शासन ने वर्तमान में लीज की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद प्रबंधन हाई कोर्ट चला गया था। वहां याचिका खारिज हो जाने के बाद तहसीलदार ने 26 अगस्त शाम 5:30 तक की मोहल्ला दी थी लेकिन इससे पहले ही अस्पताल प्रबंधन ने जमीन पर से मालिकाना हक छोड़ दिया।
मिशन अस्पताल की स्थापना साल 1885 में हुई थी जिसकी लीज 2014 में ही खत्म हो गई थी। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया। बाद में नवीनीकरण के लिए पेश किए गए आवेदन को नजूल न्यायालय ने इसी साल खारिज कर दिया। इसके बाद मिशन प्रबंधन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन हाई कोर्ट ने स्थगन आदेश देने से इनकार कर दिया। आरोप है कि मिशन अस्पताल प्रबंधन ने चैरिटी के नाम पर जिस जमीन को लीज पर लिया था, उसे किराए पर देकर मोटी आय अर्जित की जा रही थी। जमीन पर होटल, गैरेज, विश्वाशी मंदिर आदि चलाए जा रहे थे। निगम की इस बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर व्यावसायिक इस्तेमाल के बाद निगम की नजरे टेढ़ी हुई और फिर इसे खाली करने का नोटिस दिया गया। मामले को उलझाने का प्रयास हुआ लेकिन हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज कर दिये जाने के बाद मिशन अस्पताल प्रबंधन के पास इसकी जमीन खाली करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।सन 1966 में नवीनीकरण के बाद 1994 तक लीज बढ़ाई गई थी लेकिन इसके बाद नवीनीकरण का प्रयास ही नहीं हुआ था । आरोप है कि पिछले 30 सालों से अस्पताल प्रबंधन इस जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल कर लाखों रुपए वसूल चुका है। अरबो रुपए की इस जमीन का उपयोग चंद लोगों के हाथ में था, जिसके बाद कलेक्टर और निगम प्रशासन ने इसे खाली करने की कोशिश शुरू की।