अभिषेक मिश्रा मर्डर केस : किम्सी जैन के बाद हाईकोर्ट ने दो और अभियुक्तों को किया दोषमुक्त, साल 2015 में बगीचे में दफन मिली थी लाश
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में साल 2015 में हुए बहुचर्चित शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के डायरेक्टर आईपी मिश्रा के बेटे अभिषेक मिश्रा मर्डर केस में हाई कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने किम्सी जैन के पति विकास जैन और चाचा अजीत सिंह को बरी कर दिया है. यह फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डबल बेंच ने 5 दिसंबर 2023 की अंतिम बहस के बाद सुरक्षित कर लिया था. आज इस प्रकरण पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने किम्सी कंबोज के पति और चाचा को भी बरी कर दिया है.
इस हाईप्रोफाइल मर्डर मामले में किम्सी पहले ही साल 2021 में रिहा हो चुकी है. क्योंकि पुलिस ने किम्सी को संदेश के आधार पर गिरफ्तार किया था. लेकिन अभियोजन पक्ष किम्सी को आरोपी सिद्ध नहीं कर सका. वहीं जिला न्यायालय दुर्ग में न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव की कोर्ट ने किम्सी के पति विकास जैन और चाचा अजीत सिंह को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई थी. इस बात को लेकर अभियुक्त पक्ष यानी किम्सी कंबोज ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका में तीन साल सुनवाई के बाद आजीवन कारावास की सजा को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डबल बेंच ने समाप्त करते हुए आज अपना फैसला सुनाया है.
दरअसल, अभियोजन पक्ष यानी शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज की डायरेक्टर आईपी मिश्रा ने भी ने किम्सी कंबोज को बरी करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद अब अभियोजन पक्ष को आईपी मिश्रा को हार का सामना करना पड़ा है. वहीं बचाव पक्ष की ओर से दुर्ग जिला न्यायालय की अधिवक्ता उमा भारती साहू ने अपनी पैरवी से आईपी मिश्रा के वकील की सभी दलिलो का जवाब दिया. हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस और अभीयोजन पक्ष के अधिवक्ता की ओर से सिर्फ कॉल डिटेल सीडीआर के आधार पर अभियुक्त को आरोपी नहीं बनाया जा सकता. आरोपी ने मृतक से फोन पर बात की है यह साबित किया गया, लेकिन क्या बात हुई, यह अभियोजन साबित नहीं कर सका. सिर्फ सीडीआर डिटेल के आधार पर किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता. जिसके दुर्ग जिला न्यायालय के आजीवन कारावास की सजा को समाप्त करते हुए उच्च न्यायालय ने विकास जैन और अजीत सिंह को रिहा करने का फैसला सुनाया.