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‘आदित्य L1’ ने STEPS की मदद से 52 हजार KM की ऊंचाई पर कलेक्ट किया डाटा

भारत के सोलर मिशन ‘आदित्य L1′ ने एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया के बाद ‘लैग्रेंज पॉइंट-1′ की ओर अपनी यात्रा शुरू करने के बाद अंतरिक्ष में सौर हवा में ऊर्जा कणों की स्टडी करनी शुरू कर दी है. यह मिशन लाइफ के बचे समय में भी अपना काम जारी रखेगा. एक एस्ट्रो-फिजिस्ट ने ये बात कही.

सौर पवन और सूर्य से आवेशित कणों के निरंतर प्रवाह का अध्ययन सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (स्टेप्स) नामक उपकरण की मदद से किया जाएगा, जो ‘आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट’ (एएसपीईएक्स) का एक हिस्सा है.

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) में अंतरिक्ष और वायुमंडलीय विज्ञान के प्रोफेसर डॉ दिब्येंदु चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘स्टेप्स अब अंतरिक्ष से काम कर रहा है. हालांकि, यह पहले बेकार नहीं बैठा था. इसने 10 सितंबर से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के भीतर काम करना शुरू कर दिया है, जब आदित्य हमारे ग्रह से 52,000 किलोमीटर ऊपर था.”

‘स्टेप्स’ को पीआरएल द्वारा अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के सहयोग से विकसित किया गया था. उन्होंने कहा कि स्टेप्स का मुख्य उद्देश्य ‘L1′ पॉइंट पर अंतरिक्ष यान की स्थिति से लेकर इसके कार्य करने तक ऊर्जा कणों के वातावरण का अध्ययन करना है. अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने कहा, ‘लंबे समय में स्टेप्स के डेटा से हमें यह समझने में भी मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष का मौसम कैसे बदलता है.’

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2 सितंबर को ‘आदित्य-L1′ को लॉन्च किया था, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर पहले ‘लैग्रेंजियन’पॉइंट तक जाएगा.

वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु (या पार्किंग क्षेत्र) हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है. लैग्रेंजियन बिंदुओं का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है.

अंतरिक्ष यान इन बिंदुओं का इस्तेमाल अंतरिक्ष में कम ईंधन खपत के साथ लंबे समय तक रहने के लिए कर सकते हैं.

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