नई दिल्ली

“PM मोदी ने तोड़ा इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड, अब नेहरू की बराबरी की ओर बढ़ रहे कदम—पर क्या पार कर पाएंगे 6126 दिन का पड़ाव?”

नई दिल्ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक मील का पत्थर पार कर लिया। वे भारत के दूसरे सबसे लंबे समय तक लगातार प्रधानमंत्री रहने वाले नेता बन गए हैं। अब उन्होंने इंदिरा गांधी के 4,077 दिनों के कार्यकाल को पीछे छोड़ दिया है और 25 जुलाई 2025 तक 4,078 दिन पूरे कर चुके हैं।

इससे पहले इंदिरा गांधी का यह रिकॉर्ड 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977 तक लगातार प्रधानमंत्री रहते हुए बना था। अब उनसे आगे केवल देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हैं, जिन्होंने 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964 तक कुल 6,126 दिन प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए रिकॉर्ड कायम किया था।

तीन बार जनादेश, पर अब गठबंधन की मजबूरी

नरेंद्र मोदी 26 मई 2014 को पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। 2019 और 2024 में भी उन्होंने नेतृत्व करते हुए जीत हासिल की। मोदी भारत के पहले गैर-कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने लगातार तीन लोकसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करते हुए सत्ता हासिल की और वह स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले प्रधानमंत्री भी हैं।

2024 में तीसरी बार शपथ तो जरूर ली, लेकिन इस बार भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और उन्हें गठबंधन के सहारे सरकार बनानी पड़ी। यह आने वाले वर्षों में राजनीतिक स्थिरता के लिहाज से एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है।

क्या तोड़ पाएंगे नेहरू का रिकॉर्ड?

अगर प्रधानमंत्री मोदी 2029 तक कार्यकाल पूरा करते हैं तो उनका कुल कार्यकाल लगभग 5,475 दिन हो जाएगा—जो नेहरू के रिकॉर्ड से करीब 650 दिन कम रहेगा। नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए मोदी को मई 2031 तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहना होगा।

यह लक्ष्य न केवल राजनीतिक दृढ़ता पर निर्भर करता है, बल्कि स्वास्थ्य, उम्र और सहयोगी दलों के साथ संबंधों की मजबूती पर भी निर्भर करेगा।

भविष्य में दिखेगी तस्वीर साफ

मोदी की लोकप्रियता और भाजपा की सांगठनिक मजबूती उन्हें अभी तक सत्ता में बनाए रखने में सफल रही है, लेकिन गठबंधन सरकार के भीतर संतुलन बनाए रखना और जनता का विश्वास बनाए रखना, दोनों ही महत्वपूर्ण कारक होंगे।

निष्कर्षतः, इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड तोड़कर मोदी ने इतिहास में अपना नाम और मजबूती से दर्ज करा लिया है, लेकिन नेहरू का रिकॉर्ड पार करना अब उनके राजनीतिक सफर की सबसे बड़ी चुनौती होगी। क्या वे इस चुनौती को पार कर पाएंगे, यह अगले कुछ वर्षों में तय होगा।

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