छत्तीसगढ़

जशपुर में चौंकाने वाला खुलासा: ‘हत्या का शिकार’ युवक जिंदा लौटा, चार निर्दोष दो माह जेल में — कबूलनामे और विवेचना पर गंभीर सवाल

सीमित खाखा
जशपुर। जिले से सामने आया यह मामला न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि पुलिस जांच प्रणाली और न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी गहरे सवाल खड़े करता है। जिस युवक की हत्या के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था, वही युवक अब जिंदा सामने आ गया है। इस सनसनीखेज खुलासे के बाद पूरा मामला पलट गया है और पुलिस के सामने नई और कठिन चुनौती खड़ी हो गई है।

पूर्व में जेल भेजे गए आरोपी

दरअसल, 18 अक्टूबर 2025 को सिटी कोतवाली जशपुर पुलिस को सूचना मिली थी कि ग्राम पुरनानगर के तुरीटोंगरी क्षेत्र में एक युवक का अधजला शव पड़ा हुआ है। सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची, जहाँ एक गड्ढे में युवक का शव जली हुई अवस्था में मिला। शव का चेहरा सहित शरीर का अधिकांश हिस्सा बुरी तरह झुलसा हुआ था, जिससे उसकी पहचान करना लगभग असंभव हो गया था।

प्रथम दृष्टया मामला हत्या का प्रतीत होने पर पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण हत्यात्मक पाए जाने के बाद थाना सिटी कोतवाली जशपुर में बी.एन.एस. की धारा 103(1) एवं 238(क) के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू की गई।

शिनाख्त बनी पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती

अज्ञात और अत्यधिक जले शव की पहचान पुलिस के लिए गंभीर चुनौती बन गई थी। शव की शिनाख्त के लिए आसपास के थानों में फोटो सर्कुलेट किए गए, गुमशुदा व्यक्तियों की जानकारी जुटाई गई, मुखबिर तंत्र सक्रिय किया गया और टेक्निकल टीम की भी मदद ली गई।

इसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि ग्राम सीटोंगा निवासी युवक सीमित खाखा कुछ दिन पहले अपने गांव के कुछ लोगों के साथ झारखंड के हजारीबाग मजदूरी करने गया था और वापस नहीं लौटा था। इसी आधार पर कार्यपालिक मजिस्ट्रेट (नायब तहसीलदार) के समक्ष शव की शिनाख्त कराई गई, जहाँ परिजनों ने शव को सीमित खाखा का होना स्वीकार कर लिया।

कबूलनामा और जेल पुलिस ने फॉरेंसिक विशेषज्ञों की सहायता से सीन ऑफ क्राइम का रिक्रियेशन कराया। इसके बाद चार आरोपियों के कथन न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 183 बी.एन.एस. के तहत दर्ज कराए गए, जहाँ आरोपियों ने कथित रूप से हत्या की घटना को स्वीकार किया। इन तथ्यों के आधार पर पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

तब आया असली ट्विस्ट

मामला उस समय पूरी तरह पलट गया, जब सीमित खाखा स्वयं जिंदा अपने गांव सीटोंगा लौट आया। उसे देख परिजन हैरान रह गए और तत्काल इसकी सूचना सिटी कोतवाली जशपुर पुलिस को दी गई। पूछताछ में सीमित खाखा ने बताया कि वह पिछले कई महीनों से हजारीबाग क्षेत्र में मजदूरी कर रहा था और किसी भी आपराधिक घटना से उसका कोई लेना-देना नहीं है।

अब उठ रहे बड़े सवाल

इस खुलासे के बाद पुलिस ने जेल भेजे गए चारों आरोपियों की रिहाई हेतु वैधानिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन इसके साथ ही कई गंभीर सवाल भी खड़े हो गए हैं—

प्रश्न 1: जब हत्या हुई ही नहीं, तो कबूलनामा कैसे?

जब कथित मृतक जिंदा है, तो फिर आरोपियों ने न्यायालय के समक्ष हत्या स्वीकार कैसे की?
क्या यह स्वीकारोक्ति दबाव, भय या मानसिक प्रताड़ना का परिणाम थी, या विवेचना की दिशा पहले से तय कर जल्दबाजी में कबूलनामा दर्ज कराया गया?

कानून के अनुसार न्यायिक स्वीकारोक्ति तभी मान्य होती है जब वह स्वतंत्र, स्वैच्छिक और बिना किसी दबाव के हो। ऐसे में इस स्वीकारोक्ति की वैधानिकता पर पुनः समीक्षा की मांग उठ रही है।

प्रश्न 2: विवेचक और पुलिस टीम की जवाबदेही तय होगी या नहीं?

जिन विवेचक अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की जांच के कारण चार निर्दोष लोगों को करीब दो महीने तक जेल में रहना पड़ा, उनकी जिम्मेदारी तय होगी या नहीं?
क्या इसे महज “जांच में चूक” मानकर छोड़ दिया जाएगा, या लापरवाही और अपूर्ण विवेचना के लिए विभागीय अथवा कानूनी कार्रवाई होगी?

दो महीने की सजा—कौन देगा जवाब?

निर्दोषों के लिए दो महीने की जेल—

सामाजिक बदनामी

मानसिक आघात

पारिवारिक व आर्थिक नुकसान

का कारण बनी है। अब सवाल यह भी है कि क्या राज्य या पुलिस विभाग उन्हें मुआवजा देगा? और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे?

अब भी बना हुआ है असली रहस्य

सबसे बड़ा सवाल अब भी अनसुलझा है—
तुरीटोंगरी क्षेत्र में मिला वह अधजला शव आखिर किसका था?
वह व्यक्ति कौन था, उसकी मौत कैसे हुई और उसे किसने मारा?

एसएसपी का बयान

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह ने बताया—

इस प्रकरण में वास्तविक मृतक की पहचान हेतु राजपत्रित अधिकारी के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई है। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर पूर्व में कार्रवाई की गई थी। प्रकरण की जांच जारी है तथा जेल भेजे गए आरोपियों की रिहाई हेतु वैधानिक प्रक्रिया की जा रही है।

यह मामला अब सिर्फ एक हत्याकांड नहीं रहा, बल्कि पूरी जांच प्रक्रिया और न्याय व्यवस्था पर सवाल बन चुका है।यह मामला अब सिर्फ एक हत्याकांड नहीं रहा, बल्कि पूरी जांच प्रक्रिया और न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल बन चुका है। अब देखने की बात होगी कि क्या दोषियों की जवाबदेही तय होती है और निर्दोषों को न्याय मिल पाता है या नहीं।

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