छत्तीसगढ़बिलासपुर

प्राचार्य की हत्या की गुत्थी पुलिस ने त्वरित सुलझाई, दोस्त के साथ अप्राकृतिक कृत्य बनी जानलेवा

सुरेश सिंह बैस -बिलासपुर। चिल्हाटी के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले प्रभारी प्राचार्य की हत्या की गुत्थी पुलिस द्वारा सुलझा ली गई है। अपने ही दोस्त के साथ किया गया घृणित अप्राकृतिक कृत्य प्राचार्य के लिए बन गया जानलेवा पुलिस इस मामले का खुलासा करने वाली है। चिल्हाटी के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले मनोज कुमार चंद्राकर बलौदा के डोंगरी स्कूल में प्रभारी प्राचार्य थे। उनका परिवार गांव में गया हुआ था और वे घर पर अकेले रह रहे थे। इसी दौरान किसी ने उनकी हत्या कर दी। ऐसा माना जा रहा है कि अकेले रहने के दौरान उन्होंने अपने दोस्तों या परिचितों के साथ पार्टी की थी और इसी पार्टी के दौरान हुए विवाद में किसी ने तवे से उनके सर पर वार कर उनकी जान ले ली। दरअसल जांच के दौरान कमरे में जहां खून से सना हुआ तवा पड़ा मिला तो वहीं घर में शराब की बोतल और कढ़ाई में पका हुआ चिकन भी मिला है। थाली में चावल और सब्जी भी रखी हुई मिली। ऐसा माना जा रहा था कि परिवार के लोग घर पर ना रहने से मनोज चंद्राकर परिचितों के साथ पार्टी मना रहे थे। संभव है कि शराब पीने के बाद कोई बहक गया और फिर बहस के बाद यह घटना हो गई। उनका परिवार और पत्नी घटना के दौरान जर्वे में थे। पत्नी ने 24 दिसंबर को कॉल किया था और दोनों के बीच बातचीत हुई थी। उसके बाद उन्होंने कई बार कॉल किया लेकिन फोन नहीं रिसीव हुआ और फिर 26 दिसंबर को घर में उनकी लाश मिली। मोबाइल में कई रिसीव और अनरिसीवड कॉल मिले हैं। पुलिस उन्हें के सहारे आरोपियों तक पहुंची है। पुलिस ने लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि 24 दिसंबर की साथ शाम मनोज चंद्राकर के पल्सर में कोई और भी व्यक्ति उसके साथ आया था, जिसके बाद पुलिस ने सीसीटीवी कैमरा की जांच शुरू की तो मिले इनपुट के आधार पर उसने हरीश पैकरा की तलाश शुरू की। पता चला कि हरीश पैकरा अपने ठिकाने से गायब है। पुलिस ने उसे ढूंढना शुरू किया । इधर घटना को अंजाम देने के बाद हरीश पैकरा पुलिस से बचने के लिए महाराष्ट्र की ओर भाग रहा था जिसे पुलिस ने डोंगड़गड़ से पकड़ लिया। पूछताछ में आरोपी 24 वर्षीय खम्हारडीह, लवन बलौदाबाजार निवासी हरीश कुमार पैकरा ने चौकाने वाला खुलासा किया है।विवाहित और बाल बच्चेदार होने और शिक्षक जैसे प्रतिष्ठित पद पर होने के बावजूद मनोज चंद्राकर का चरित्र सही नहीं था। मनोज चंद्राकर की एक दिन पहले ही यानी 23 दिसंबर को रेलवे स्टेशन में हरीश से मुलाकात हुई थी और योजनाबद्ध तरीके से वह हरीश को अपना दोस्त कहते हुए घर ले आया। घर में दोनों ने पार्टी की। दोनों ने मिलकर चिकन पकाया और फिर शराब के साथ भोजन किया। हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के मकान नंबर 39 में दोनों देर रात तक पार्टी करते रहे।

  1. इधर नशे में आते ही मनोज चंद्राकर की नियत डोलने लगी और उसने सारी हदें पार करते हुए जबरन अपने ही दोस्त हरीश पैकरा के साथ अप्राकृतिक कृत्य कर दिया। दोस्त बोल कर घर में पार्टी करने के नाम पर लाकर उसके साथ बलात्कार करने से आग बबूला हरीश पैकरा ने किचन में रोटी बनाने के लिए रखे तवे से मनोज चंद्राकर के सर पर प्राण घातक हमला किया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना को अंजाम देने के बाद हरीश पैकरा भाग खड़ा हुआ लेकिन वह पुलिस से नहीं बच पाया।मनोज चंद्राकर की मृत्यु के बाद से परिजन और पड़ोसी से लेकर सभी उससे सहानुभूति जता रहे थे। और हत्या की आशंका पर हत्यारे को पकड़ने की मांग कर रहे थे। लेकिन सच्चाई उजागर होते ही सबके चेहरे सफेद पड़ गए है। इस हत्या के मामले में भले ही गुनहगार हरीश पैकरा हो लेकिन मनोज चंद्राकर का गुनाह भी काबिले माफी नहीं है।

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