गुरुकुल इंग्लिश मीडियम स्कूल एवं अन्य बलौदा बाजार नियम विरुद्ध संचालन की जांच की मांग:
आचार्य ऋषि सिद्धनाथ/बलौदा बाजार : जिला मुख्यालय बलौदा बाजार में गुरुकुल इंग्लिश मीडियम स्कूल एवं अन्य स्कूल की निम्न अनुसार संचालन न करने की शिकायत आचार्य ऋषि सिद्धनाथ ने की है जो समाज को सुधारने के लिए नेक पहल है यही मनसा सरकार की भी है अच्छी शिक्षा के लिए आजकल सभी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कमर कस ली है। अब जिले में स्कूल संचालन करने वाले संचालकों को हर साल शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मान्यता लेनी होगी। मान्यता लेने वाले आवेदन फार्म में आवेदकों को स्कूल का वर्गफीट, फीस स्ट्रक्चर, स्कूल में मिलने वाली सुविधाएं, शिक्षक, कर्मचारी और छात्रों का ब्योरा देना होगा।
आवेदन फार्म का जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी सत्यापन करेंगे और स्कूलों की जांच के बाद मान्यता दी जाएगी। जो संचालक विभागीय अधिकारियों के आदेश का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात विभागीय अधिकारी कह रहे हैं।
प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमानी की शिकायतें रोजाना राजधानी में सामने आ रही हैं। स्कूल संचालकों की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने निजी स्कूल संचालकों को नियंत्रित करने के लिए हर साल विभाग से मान्यता लेने का निर्देश दिया है। इस निर्देश के बाद प्राइवेट स्कूल संचालकों के बीच हड़कंप मचा हुआ है।
छत्तीसगढ़ बलौदा बाजार में मनमानी करने वाले प्राइवेट स्कूलों की खैर नहीं: साय सरकार ने RTE को लेकर दिखाई सख्ती
छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार (RTE) के मामले में मनमानी करने वाले प्राइवेट स्कूलों पर सख्ती बरती जा रही है। अब आरटीई के तहत प्रवेश को लेकर लापरवाही बरतने वाले निजी स्कूलों की खैर नहीं है। प्रदेश की साय सरकार ने आरटीई को लेकर शिक्षा सत्र की शुरुआत में ही सख्ती दिखानी शुरू कर दी है।
सचिव ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को लिखा पत्र
स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने इसको लेकर प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा है। स्कूल शिक्षा सचिव ने आरटीई (RTE) वाले बच्चों की ड्राप आउट रिपोर्ट मांगी है। सचिव परदेशी ने कलेक्टरों को लिखे पत्र में कहा है कि जिले के गैर अनुदान प्राप्त विद्यालयों के प्रबंधक/प्राचार्यों की एक बैठक 10 दिन के अंदर बुलाकर समीक्षा करें। देखें कि उनके स्कूल में कितने बच्चों ने आरटीई के तहत एडमिशन लिया था और उनमें से कितने बच्चे पढ़ाई छोड़कर ड्राप आउट हो गए हैं।
5 सालों में ड्राप आउट हुए बच्चों की मांगी जानकारी
सचिव ने इसकी एक रिपोर्ट भी मांगी है। सचिव ने कलेक्टरों को बीते 5 सालों में ड्राप आउट हुए बच्चों की जानकारी लेकर समीक्षा करने के लिए भी कहा है। सचिव ने कहा है कि ड्राप आउट रोकने की दिशा में समुचित पहल करने का कष्ट करें, जिससे कि आपके जिले में आरटीई (RTE) की मंशा के अनुरूप सभी बच्चे अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर सकें।
स्कूलों के खिलाफ मिल रही थीं शिकायतें
शिक्षा के अधिकार अधिनियम में स्कूलों की लापरवाही की शिकायतें स्कूल शिक्षा विभाग को मिल रही थीं। इस कारण विभाग के सचिव सिद्धार्थ परदेशी ने कलेक्टरों को कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने कलेक्टरों को उनका अधिकार बताते हुए कार्रवाई करने को कहा है।