मुंबई पुलिस ने 8 महीने बाद कबूतर छोड़ा:ताइवान से भारत आया; चीनी जासूसी का शक था, पंखों में चाइनीज जैसी भाषा लिखी थी

मुंबई में चीन के लिए जासूसी करने के शक में कैद कबूतर को आखिरकार आजादी मिल गई। मई 2023 से उसे मुंबई के ही एक वेटरनरी हॉस्पिटल में रखा गया था। बाई सकरबाई दिनशॉ पेटिट हॉस्पिटल फॉर एनिमल्स ने कबूतर की रिहाई की मांग की थी। 30 जनवरी को उसे खुले आसमान में छोड़ दिया गया।
कबूतर को मुंबई की RCF (राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर) थाना पुलिस चेंबूर के पीर पाउ जेट्टी से मई 2023 को इस कबूतर को पकड़ा था। कबूतर के एक पंजे में तांबे और दूसरे में एल्युमीनियम का छल्ला था। पंखों के नीचे चीनी भाषा जैसी लिपि में कुछ लिखा हुआ था।
RCF को लगा था कि यह चीन का भेजा हुआ जासूसी कबूतर है। इसके बाद RCF ने केस दर्ज करते हुए कबूतर के बारे में जांच शुरू कर दी थी। इस दौरान कबूतर को मुंबई के ही एक वेटरनरी हॉस्पिटल में रखा गया, जहां उसके खाने-पाने का ख्याल रखा जा रहा था।

चीन नहीं, ताइवान का है कबूतर
पुलिस की जांच में सामने आया कि कबूतर चीन का नहीं, बल्कि ताइवान का है। पुलिस ने बताया कि ताइवान में कबूतरों की रेस आयोजित की जाती है। इस कबूतर को भी उसके मालिक ने इस रेस में शामिल किया था।
कबूतर ताइवान से उड़ता हुआ भारत आ पहुंचा। यहां उस पर RCF की नजर पड़ गई। पंजों में छल्ले और पंखों के नीचे चीनी जैसी भाषा देखकर उसके जासूसी कबूतर होने का शक पैदा हो गया था।
29 जनवरी को मांगी गई थी कबूतर को रिहाई
RCF थाना पुलिस के मुताबिक, परेल इलाके में बाई सकरबाई दिनशॉ पेटिट हॉस्पिटल फॉर एनिमल्स मौजूद है। उन लोगों ने 29 जनवरी को कबूतर को खुले में छोड़ने की अनुमति मांगी थी। जांच में भी साफ हो गया था कि कबूतर का चीन से कोई-लेना नहीं है। इसके बाद पुलिस ने कबूतर को खुले में छोड़ने की परमिशन दी और 30 जनवरी को उसे रिहा कर दिया गया। कबूतर की मेडिकल कंडीशन एकदम ठीक है