सुप्रीम कोर्ट बोला-सरकार की हर आलोचना अपराध नहीं:नागरिक को केंद्र के किसी भी फैसले का विरोध करने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने असहमति के अधिकार को बरकरार रखते हुए कहा है कि हर आलोचना अपराध नहीं होती है। अगर हर आलोचना या असहमति को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा तो लोकतंत्र जीवित नहीं रह पाएगा। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर कुछ टिप्पणियां करने के आरोपी के खिलाफ दाखिल केस को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान के आर्टिकल 19(1)(a) के तहत नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है। इस आजादी के तहत हर नागरिक को अधिकार है कि वह आर्टिकल 370 हटाए जाने से लेकर केंद्र सरकार के किसी भी फैसले की आलोचना कर सकता है। उसे ये कहने का अधिकार है कि वह सरकार के फैसले से खुश नहीं है।
जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुयान की बेंच ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपनी पुलिस को आर्टिकल 19(1)(a) में दिए गए बोलने और अभिव्यक्ति के अधिकारी के बारे में जागरूक करें और उन्हें उचित संयम बनाए रखने की सीमा भी बताएं। पुलिस को हमारे संविधान में दिए गए मूल्यों के बारे में संवेदनशील बनाना चाहिए।
